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निठारी कांड मामले में मोनिंदर सिंह और सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत

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सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के नौवें मामले में कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर और नौकर सुरेन्द्र कोली को फांसी की सजा सुनाई है। आपको बता दे कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत ने निठारी में हुए दुष्कर्म एवं हत्या के मामलों में से एक मामले में शुक्रवार को सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंधेर को फांसी की सजा सुनाई है।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पी.के. तिवारी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोली और पंधेर घरेलू नौकरानी अंजलि के साथ 2006 में दुष्कर्म करने और उसकी हत्या में संलिप्त थे और दोनों कठोरतम सजा के हकदार हैं। न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि पंधेर अपने नौकर के साथ इसमें शामिल थे, इसलिए वह भी कानून के अनुसार अधिकतम सजा के हकदार हैं, जो कि मृत्युदंड है। उन्होंने दोनों को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए।

न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले में दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 76(दुष्कर्म), 302(हत्या), 201(सबूत छिपाने और झूठी सूचना फैलाने) के अंतर्गत दोषी पाया था।  दोनों पंधेर के नोएडा स्थित घर में कई बच्चों के अपहरण, उनके यौन शोषण और हत्या के मामले में मुख्य अभियुक्त हैं।

सीबीआई ने इस मामले में पंधेर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया था, लेकिन अदालत ने उसे सीआरपीसी की धारा 319 के अंतर्गत अभियुक्त के रूप में तलब किया था और कोली के साथ उसे भी दोषी करार दिया।

इस मामले में, एक 25 वर्षीय नौकरानी 12 अक्टूबर, 2006 को काम करने के बाद घर वापस नहीं लौटी थी। उसके लापता होने की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज कराई गई थी। कोली को पहली बार 29 दिसंबर, 2006 को गिरफ्तार करने के बाद, पुलिस ने घर के पीछे से कुछ कंकाल बरामद किए थे।

अभियोजन पक्ष के वकील जे.पी. शर्मा ने बताया कि उनमें से एक कंकाल का डीएनए अंजलि की मां और भाई से मिल गया, जो कि उसे दोषी ठहराने के लिए मजबूत सबूत था। पीड़िता के परिजनों ने उसके कपड़े की भी पहचान की थी, जिसके बाद अदालत ने दोनों को दोषी करार दिया। यह तीसरा मामला है, जिसमें पंधेर को मौत की सजा सुनाई गई है, जबकि कोली को इससे पहले आठ मामलों में दोषी ठहराया गया है, जिसमें उसे फांसी की सजा सुनाई गई है। लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।

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