रायपुर : छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में माओवादियों पर बढ़े सुरक्षा बलों के दबाव के बाद नक्सलियों ने नई रणनीति के तहत काम शुरू कर दिया है। राज्य के सरगुजा अंचल के जंगलों में नक्सलियों की धमक ने राज्य सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। इस मामले में झारंखड के सरहदी ईलाकों से सटे छत्तीसगढ़ के सरगुजा के जंगलों में माओवादियों ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है। इस मामले में नए सिरे से कवायदें शुरू करने के बाद खुफिया तंत्र को भी चौकस कर दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक बस्तर अंचल में सुरक्षा बलों के दबाव और लगातार आपरेशनों के जरिए अब तक सुरक्षित माने जा रहे सरगुजा अंचल के जंगलों में माओवादियों ने आवाजाही शुरू कर दी है। सरगुजा अंचल में माओवादी गतिविधियां कुछ वर्ष पहले ही शंात हो चुकी है। यहां से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए रणनीति तय हुई थी। इसमें फोर्स और पुलिस को व्यापक सफलता मिली थी। माना जा रहा है कि अब खुफिया तंत्र की रिपोर्ट पर अब सरगुजा अंचल में सुरक्षा बलों का दबाव बढ़ेगा।
बस्तर में माओवादियों के आतंक की वजह से संवेदनशील क्षेत्रों की संख्या बढ़ी है। बस्तर अंचल के शहरी ईलाकों में प्रभुत्व जमाने के बाद से ही नक्सलियों ने मैदानी ईलाकों में पांव जमाने की कोशिशें की है। राजधानी तक कई मौके पर नक्सली आहट हुई है। वहीं रायपुर और भिलाई समेत अन्य शहरों में नक्सली मददगार पकड़े गए हैं।
इसके बावजूद अब सरगुजा अंचल में गतिविधियां बढऩे के बाद तनाव भी बढ़ सकता है। इस मामले में खुफिया तंत्र ने पुलिस और फोर्स को सतर्क कर दिया है। माना जा रहा है कि जल्दी ही पुलिसिया तंत्र को भी तैनात कर दिया जाएगा। हालांकि सरगुजा क्षेत्र के जंगल बस्तर की तुलना में कम दुर्गम वाले माने जाते हैं। इसके बावजूद जंगल और पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यह स्थान माओवादियों के लिए मुफीद रहा है।
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