नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश के हरित, वन एवं मुख्य इलाकों के किसी भी हिस्से तथा राष्ट्रीय राजमागो’ के तीन मीटर के दायरे में सभी तरह के निर्माण कायो’ पर रोक लगा दी है। अधिकरण ने अंधाधुंध निर्माण कार्य की अनुमति प्रदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश की सरकार को फटकार लगाई और कहा कि राज्य सरकार अपना संवैधानिक उत्तरादायित्वों का निर्वहन करने में विफल रही और इस नाकामी ने शिमला को प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के मुहाने पर ला खड़ किया। पीठ ने कहा, अगर इस तरह से अनियोजित ओर अंधाधुंध विकास की स्वीकृति दी जाती है तो पर्यावरण, पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधन को अपूरणीय क्षति होगी तथा दूसरी तरफ आपदाएं भी आएंगी।
एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिमाचल प्रदेश की सरकार और उसके विभागों को बिना अनुमति के पहाड़ एवं वनों की कटाई करने से रोक दिया। अगर कोई व्यक्ति वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाते हुए या संबंधित प्रशासन की अनुमति के बिना पहाड़ की कटाई करता हुआ पाया जाता है तो हर उल्लंघन के लिए उस पर पांच लाख रूपये से कम जुर्माना नहीं लगेगा। पीठ ने अपने पहले के आदेश को दोहराया कि शिमला में प्लास्टिक के थैलों के इस्तेमाल पर रोक रहेगी और उसने प्रशासन से कहा कि वह यह सुनिश्चित हो को कि किसी ऐसी सामाग्री का इस्तेमाल नहीं हो और दुकानदारों द्वारा बेचा नहीं जाए।
नए निर्माणों के संदर्भ में पीठ ने कहा, मुख्य, हरितावन क्षेत्र ओर शिमला योजना क्षेत्र के प्रशासन के तहत आने वाले इलाकों से बाहर निर्माण कायो’ पर नगर एवं देश योजना अधिनियम, विकास योजना ओर निगम कानूनों के मुताबिक इजाजत दी जाएगी। इन इलाकों में दो मंजिला से ज्यादा के निर्माण भी इजाजत नहीं होगी। उसने यह भी कहा कि जन सुविधाओं से जुड़ भवनों जैसे अस्पतालों, स्कूलों और जरूरी सेवाओं से जुड़ सेवाओं के कार्यालयों के लिए दो मंजिला से अधिक के निर्माण की योजना होगी तो अनापथि प्रमाणपत्र के लिए संबंधित प्रशासन को योजना सौंपनी होगी।