राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने जीवनदायनी गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट से 100 मीटर के दायरे को “गैर निर्माण जोन” घोषित किया और नदी तट से 500 मीटर के दायरे में कचरा डंप करने पर रोक लगाने जैसे अनेक निर्देश आज जारी किए। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि गंगा नदी में किसी प्रकार का कचरा डंप करने वाले को 50 हजार रूपए पर्यावरण जुर्माना देना होगा।
एनजीटी ने कचरा निस्तारण संयंत्र के निर्माण और दो वर्ष के भीतर नालियों की सफाई सहित सभी संबंधित विभागों से विभिन्न परियोजनाओं को पूरा करने के निर्देश दिए। संस्था ने कहा कि उतर प्रदेश सरकार को अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए चमड़े के कारखानों को जाजमऊ से उन्नाव के चमडा पार्को अथवा किसी भी अन्य स्थान जिसे राज्य उचित समझता हो, वहां छह सप्ताह के भीतर स्थानांतरित करना चाहिए। एनजीटी ने उतर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाटों पर धार्मिक क्रियाकलापों के लिए दिशानिर्देश बनाने के लिए भी कहा।
एनजीटी ने 543 पन्नों वाले अपने फैसले के पालन की निगरानी करने और इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए पर्यवेक्षक समिति का गठन किया। उसने समिति से नियमित अंतराल में रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए। एनजीटी ने कहा कि शून्य तरल रिसाव और सहायक नदी की ऑनलाइन निगरानी की शर्त औद्योगिक इकाइयों पर लागू नहीं होनी चाहिए। अधिकरण ने 31 मई को इस संबंध में अपना आदेश सुरक्षित करने से पहले केन्द्र, उतर प्रदेश सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अनेक पक्षकरों की दलीलों को सुना था। एनजीटी ने गंगा नदी की सफाई के कार्य को गोमुख से हरिद्वार (पहला चरण), हरिद्वार से उन्नाव (पहले चरण का खंड बी), उन्नाव से उतर प्रदेश की सीमा, उतर प्रदेश सीमा से झारखंड की सीमा और फिर झारखंड सीमा से बंगाल की खाड़ी तक कई खंडों में बांट दिया है।