बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर शोध चुराने के मामले में 20,000 रुपये जुर्माना ठोके जाने पर उनकी नैतिकता पर सवाल उठाया है। आपको बता दे कि तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके कहा है कि मुख्यमंत्री जी बताएं, किसी छात्र का शोध पेपर अपने नाम से छापना कौनसी नैतिकता है? नैतिकता का निर्धारण सहूलियत से करने पर अंतरात्मा क्या बोलती है? ।
मुख्यमंत्रीजी बताए,किसी छात्र का शोध पेपर अपने नाम से छापना कौनसी नैतिकता है?नैतिकता का निर्धारण सहूलियत से करने पर अंतरात्मा क्या बोलती है?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 5, 2017
तेजस्वी यादव के इस टिप्पणी पर यूजर्स ने तरह-तरह की प्रतिक्रिया दी है। कुछ यूजर्स ने तेजस्वी के कम पढ़े-लिखे होने पर मजाक उड़ाया है।
तेजस्वी के इस टिप्पणी पर यूजर्स ने तरह-तरह की प्रतिक्रिया दी है। कुछ यूजर्स ने तेजस्वी के कम पढ़े-लिखे होने पर मजाक उड़ाया है। एक यूजर ने लिखा है, “10th तो पास किया नहीं और चला है शोध पेपर की बात करने..!! कौन सा शोध पेपर..?? तूने शोध किया है क्या..?? चारा और मिट्टी घोटाले पे..??” जबकि दूसरे यूजर ने लिखा है, “10वी फ़ैल क्या जाने , शोध करने का अंदाज़ ।।” एक अन्य यूजर ने लिखा है, “हे पूर्व उपमुख्यमंत्री जी किसी की संपत्ति अपने नाम लिखवाना कहाँ की नैतिकता है,बताएँ?क्या कहती है आपकी अंतरात्मा।” हालांकि, कुछ यूजर्स ने नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा है।
बिहार की शिक्षा का मज़ाक़ बनाने और बनवाने में नीतीश जी ने कोई कोर-कसर नही छोड़ी।बिहार की दो पीढ़ियों का भविष्य ख़राब कर दिया है नीतीश जी ने pic.twitter.com/Fdo6ub9epS
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 5, 2017
तेजस्वी ने आगे ट्वीट किया है कि पर साहब, वो तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते है लेकिन जनता सच्चाई जानती है कि अकेले में इकाई में ही सिमट जाते है. आंकड़े देखिए, इतिहास गवाह है. ज्ञात हो कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू के पूर्व शिक्षाविद से नेता बने एक व्यक्ति द्वारा कॉपीराइट के उल्लंघन पर एक कानूनी वाद से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रतिवादी के रूप में नाम हटाने का अनुरोध खारिज कर दिया और उन पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।