श्योपुर: आमतौर पर किसी भी जिले या तहसील के सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद सबसे पहले किसानों को बकाया वसूली से राहत मिलती है, लेकिन श्योपुर जिले में ठीक इसके विपरीत हो रहा है। यहां जिला सहकारी बैंक सूखाग्रस्त होने के बाद भी किसानों को बकाया राशि जमा करने के लिए नोटिस जारी कर रहा है। इससे किसानों में नाराजगी बढ़ रही है। सहकारी बैंक का कहना है कि जिले के 26 हजार से अधिक किसानों पर लोन की 109 करोड़ की राशि बकाया है। जिले को सूखाग्रस्त घोषित हुए 11 दिन गुजर चुके हैं,किन्तु अभी तक शासन-प्रशासन की तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है,जिससे यहां के अन्नदाता को राहत मिल सके।
उल्टा किसानों को वसूली के नोटिस थमाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जिला सहकारी बैंक ने अब तक साढे़ चार हजार से अधिक किसानों को वसूली के लिए नोटिस थमाकर बकाया राशि जमा करने को कहा है। इसके लिए बैंक ने धारा 84 व आरआरसी के तहत प्रकरण बनाकर संबंधित तहसीलदारों को भेजे हैं,जहां से नोटिस जारी किए जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि जिला सहकारी बैंक का यह तुगलकी फरमान है।
जब सरकार ने जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है,तो फिर वसूली को स्थगित किया जाना चाहिए,लेकिन सहकारी बैंक हिटलरशाही पर आमादा होकर किसानों को मानसिक रूप से परेशान करने में लगी हुई है। उल्लेखनीय है कि इस बार जिले में आधे से भी कम बारिश हुई है। नतीजा न केवल खरीफ फसलें प्रभावित हुई, बल्कि रवी सीजन की फसलों पर भी गंभीर संकट बना हुआ है। खरीफ सीजन में ही बोरों का वाटर लेबल नीचे चला गया था। नतीजा किसानों को बोर में अपेक्षा से अधिक पाइप नीचे उतारने पडे़ थे। चूंकि गेहूं में कम से कम चार पानी चाहिए। ऐसे में वाटर लेबल के तेजी से नीचे जाने की आशंका है। इसके बाद भी सहकारी बैंक वसूली पर आमादा है।
जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों की मानें तो जिले के 26612 किसानों पर लोन का 109 करोड बकाया है। हालांकि सहकारी बैंक से कर्ज तो 35241 किसानों ने लिया था, लेकिन 8600 किसान अपनी स्वेच्छा से बकाया राशि जमा कर चुके हैं। उक्त किसान 37 करोड़ रुपए से अधिक की राशि बैंक को वापस लौटा चुके हैं, लेकिन शेष 26 हजार से अधिक किसानों ने राशि नहीं लोटाई है,जिसके चलते बैंक ने नोटिस देकर बकाया राशि जमा करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार ऐसे किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर लोन देती है, जो समय पर कर्ज चुकाते हैं, लेकिन श्योपुर जिले में जीरो प्रतिशत ब्याज पर लोन महज कुछ प्रतिशत किसानों को ही मिल पा रहा है। इसकी वजह विभिन्न कारणों से किसानों का समय पर कर्ज नहीं चुकाना है।
किसान कभी सूखे की मार से तो कभी ओलावृष्टि से तो कभी चक्रवाती तूफान से प्रभावित हुआ। इसी के चलते वे न तो समय पर कर्ज लौटा सके और न हीं जीरो दर पर लोन मिल सका। नोडल अधिकारी जिला सहकारी बैंक आर.एस. भदौरिया का कहना है कि ओवरडयू किसानों को डिमांड नोटिस जारी किए गए हैं और यह बैंक की स्वाभाविक प्रक्रिया है। सामने वाले को यह तो पता होना चाहिए कि उसे कितना कर्ज चुकाना है। देना न देना उस पर निर्भर करता है। रही बात सूखाग्रस्त घोषित होने की तो शासन से अभी तक इस संबंध में वसूली स्थगित करने के कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।