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राष्ट्रपति चुनाव में संग्राम को तैयार विपक्ष

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राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार के बारे में चर्चा के लिए एक मंच पर आये लगभग समूचे विपक्ष ने आज कोई नाम तय करने के बजाय गेंद सरकार के पाले में डालते हुए कहा कि यदि वह परंपरा अनुसार आम सहमति से उम्मीदवार खडा करने में विफल रहती है तो विपक्ष चुनाव मैदान में राजनीतिक ‘संग्राम’ लिए तैयार है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों को भुलाकर दोपहर भोज पर जुटे विपक्षी दलों ने कहा कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो संवैधानिक मूल्यों की रक्षा कर सके। सत्रह विपक्षी दलों के लगभग 30 नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की रणनीति तय करने के लिए करीब ढाई घंटे तक विचार-विमर्श किया।  बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद तथा जनता दल यू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष पूरी तरह एकजुट है।

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विपक्ष की ओर से संयुक्त वक्तव्य में उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य परंपरा है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के नामों पर आम सहमति बनाने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी पहल करती है। इन दोनों पदों के लिए चुनाव होने वाले हैं लेकिन सत्तारूढ़ दल ने अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ऐसे उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति बनाने में विफल रहती है जो संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने में सक्षम हो तो विपक्षी दल इन पदों के लिए अपने ऐसे उम्मीदवार तय करेंगे जो इस कसौटी पर खरा उतरता हो।
श्री यादव ने कहा कि आम सहमति नहीं बनती है तो विपक्ष ‘राजनीतिक संग्राम’ के लिए तैयार है। बैठक में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, वाम दल तथा तृणमूल कांग्रेस जैसे परस्पर विरोधी दलों ने भी सभी पार्टियों के साथ सामूहिक निर्णय से सहमति जतायी। हालाकि आम आदमी पार्टी तथा अन्ना द्रमुक का कोई प्रतिनिधि बैठक में नहीं था। इससे पहले बैठक से निकलते हुए तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि यदि जरूरत पडती है तो विपक्ष का उम्मीदवार चुनने के लिए एक समिति का गठन किया जायेगा। श्री यादव ने कहा कि इस समिति का गठन श्रीमती गांधी करेंगी।

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श्री यादव ने कहा कि विपक्ष को उम्मीद है कि सरकार राष्ट्रपति तथा उप राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो विपक्ष राजनीतिक लड़ाई के लिए बाध्य होगा। बैठक में बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, सीताराम येचुरी जैसे प्रमुख नेताओं ने भाग लिया। बैठक में नीतीश कुमार की जगह शरद यादव के पहुंचने पर भी सवाल खड़े हुए। कांग्रेस की ओर से सोनिया के अलावा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खडग़े, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद जैसे नेता मौजूद थे। सीपीएम से पी. करुणाकरन और सीपीआई से डी राजा, एआईयूडीएफ से बदरुद्दीन अजमल, केरल कांग्रेस के जोस के मनी, जेएमएम से राज्यसभा सांसद संजीव कुमार, आरजेडी से लालू यादव, डीएमके से कनिमोझी,  उमर अब्दुल्ला, एनसीपी से शरद पवार, जेडीयू से शरद यादव और केसी त्यागी, आरएसपी से एनके प्रेमचंद्रन आदि नेता पहुंचे। खास बात यह है कि इस मीटिंग में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को न्यौता नहीं दिया गया था, वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जगह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पहुंचे।

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भ्रष्टाचार के नए आरोपों में घिरे आरजेडी प्रमुख लालू यादव की मौजूदगी में नीतीश के गायब रहने पर राजनीतिक अटकलें लगना तो तय था। हालांकि, जेडीयू नेता पवन वर्मा ने किसी विवाद को सिरे से खारिज किया है। बता दें कि प्रणव मुखर्जी ने यह साफ कर दिया है कि दूसरे कार्यकाल में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। समाजवादी पार्टी की ओर से पहले राम गोपाल यादव और नरेश अग्रवाल के पहुंचने की वजह से इस बात की अटकलें लगने लगी थीं कि शायद अखिलेश नहीं पहुंचेंगे, लेकिन यूपी के पूर्व सीएम कार्यक्रम में 20 मिनट की देरी से पहुंचे। मीटिंग में बीएसपी प्रमुख मायावती के साथ सतीश मिश्रा भी मौजूद थे।सबसे पहले पहुंचने वालों में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी थीं। वह तो मेजबान कांग्रेस के नेताओं से भी पहले पहुंच गई थीं।

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