नयी दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कृषि में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि कृषि में समेकित प्रणाली अपनायी जानी चाहिये जिससे उत्पादन बढ़े और किसानों की आय में भी वृद्धि हो। डा चंद ने भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद की ओर से पारिस्थितिकी कृषि पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि में समेकित मृदा और जल, कीट और फसल प्रबंधन के लिए संतुलित प्रयास किया जाना चाहिये जिससे किसानों की आय बढ सके और रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग भी कम से कम हो सके।
डा.चंद ने कहा कि कृषि में इस प्रकार का प्रयोग किया जाना चाहिये जो पर्यावरण के अनुकूल हो और लोगों को सुरक्षित खाद्य सामग्री मिल सके। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में गठित राष्ट्रीय कार्यदल की सराहना करते हुए कहा कि उसे प्राकृतिक खेती को लेकर समय-समय पर अपने सुझाव और सिफारिशें सरकार को देनी चाहिये जिससे इसका लाभ किसानों को मिल सके।
कृषि मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव जलज श्रीवास्तव ने कृषि के क्षेत्र में किये जा रहे नये-नये प्रयोगों की चर्चा करते हुए कहा कि इस पर निगरानी की जरूरत है और जिससे किसानों को लाभ हो उसका विस्तार किया जाना चाहिये । उन्होंने फसलों के भरपूर उत्पादन के लिए पानी को बहुत जरूरी बताते हुए कहा कि इसका संरक्षण किया जाना चाहिये और फसलों को जितनी जरूरत हो उतना ही इसका उपयोग किया जाना चाहिये ।
परिषद के अध्यक्ष एम जे खान ने कहा कि पारिस्थिकी कार्यदल कृषि से संबंधित सभी पक्षों के साथ मिलकर कार्य करेगा और जैविक कृषि को बढ़ावा देने को लेकर कार्यशाला, संगोष्ठियों एवं अन्य कार्यक्रमों को आयोजित करेगा। इस संबंध में वह विदेश के वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और उद्योगों के साथ भी परामर्श करेगा ताकि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी की जा सके। इस कार्यक्रम में विदेश के प्रतिनिधियों के अलावा प्रगतिशील किसानों ने भी हिस्सा लिया जिन्होंने खेती-बाड़ी में परम्परागत तरीके अपनाये जाने को लेकर अपने अनुभव बताये ।