तिरूवेदांती (तमिलनाडु) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में ‘नीतिगत पंगुता’ के लिये पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर आज हमला किया। उन्होंने विदेशी कंपनियों से कहा कि वह 110 लड़ाकू विमानों की खरीद पर फैसला करने के लिये एक दशक का समय नहीं लेंगे। चार दिवसीय रक्षा एक्सपो का यहां उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि पिछली सरकार की सुस्ती, अक्षमता या ‘शायद कुछ छिपे उद्देश्यों’ ने रक्षा क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान रक्षा क्षेत्र में ‘नीतिगत पंगुता’ ने देश की सैन्य तैयारियों को प्रभावित किया। मोदी ने कहा कि रक्षा उद्योग के साथ भागीदारी का निर्माण करने के राजग सरकार के प्रयास ‘ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के सर्वोच्च आदर्शों’ से निर्देशित होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब नीतिगत पंगुता की वजह से रक्षा तैयारियों का अहम मुद्दा प्रभावित हुआ। हमने देखा है कि इस तरह की सुस्ती, अक्षमता या कुछ छिपे हुए उद्देश्य देश को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं। अब नहीं, अब और नहीं।’’
प्रधानमंत्री ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर आरोप लगाया कि वह लंबी चयन प्रक्रिया के बाद 126 मध्यम, अनेक भूमिका निभाने वाले लड़ाकू विमानों (एमएमआरसीए) की खरीद संबंधी सौदे पर निर्णय करने में विफल रही। मोदी ने कहा, ‘‘आप याद करेंगे कि लड़ाकू विमान की खरीद के लिये चली लंबी प्रक्रिया किसी अंजाम तक नहीं पहुंच सकी। हमने न सिर्फ हमारी तात्कालिक महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिये साहसिक कदम उठाया, बल्कि हमने 110 लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिये नयी प्रक्रिया भी शुरू की।’’ सरकार ने पिछले सप्ताह तकरीबन 110 लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया शुरू की थी। सरकार ने इसके लिये आरएफआई (सूचना के लिये अनुरोध) या शुरूआती निविदा आमंत्रित की थी। पांच साल पहले वायु सेना के लिये 126 एमएमआरसीए की खरीद की प्रक्रिया सरकार के रद्द करने के बाद लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये यह पहली बड़ी पहल है।
उन्होंने कहा कि अपने रक्षा बलों को आधुनिक प्रणाली से सुसज्जित करने और इसे हासिल करने के लिये जरूरी घरेलू विनिर्माण का माहौल तैयार करने के लिये हम आपके साथ मिशन भाव से काम करेंगे। आपके साथ भागीदारी में हम ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के उच्च आदर्शों से निर्देशित होंगे। एमएमआरसीए सौदे को रद्द किये जाने के बाद राजग सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांसीसी सरकार के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। राफेल मुद्दे पर कांग्रेस राजग सरकार पर लगातार हमले करती रही है। उसका आरोप है कि संप्रग सरकार के दौरान जिस सौदे को लेकर बातचीत हुई थी वह मोदी सरकार द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंध की तुलना में सस्ता था।
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