राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने आज दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित युद्ध – क्षेत्र सियाचिन में सेना के बेस कैंप का दौरा किया और वहां चौकी पर तैनात जवानों के प्रति आभार प्रकट किया। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले लगभग 34 सालों में सियाचिन के कठिन मोर्चे पर तैनात बहादुर सैनिकों के वीरतापूर्ण प्रदर्शन से देशवासियों को यह भरोसा मिला है कि देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित है। कोविन्द ने कहा कि वह चौकी पर तैनात जवानों को यह विश्वास दिलाने के लिए सियाचिन आए हैं कि हर देशवासी और भारत सरकार उनके और उनके परिवार – जनों के लिए सदैव साथ खड़ा है।
सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश के राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रूप में आज वह उनके बीच भारत के सैन्य बलों के लिए पूरे देश का आभार संदेश लेकर आए हैं। कोविन्द ने कहा, ‘‘ ऐसी परिस्थिति में दुश्मन से युद्ध के लिए तत्पर रहना तो बहुत ही मुश्किल होता है। कठोरतम प्राकृतिक चुनौतियों के बीच देश की रक्षा में लगे हुए अपने ऐसे वीर जवानों से आमने – सामने मिलना ही मेरे लिए गर्व की बात है। आप सबसे मिलने की उत्सुकता का एक विशेष कारण था, आप तक यह संदेश पहुंचाना कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सभी सैन्य कर्मियों और अधिकारियों के लिए हर भारतवासी के दिल में विशेष सम्मान है।’’
राष्ट्रपति ने कुमार चौकी का भी दौरा किया। कोविन्द सियाचिन का दौरा करने वाले दूसरे राष्ट्रपति हैं। इससे पहले अप्रैल 2004 में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने दौरा किया था। पिछले 14 वर्षों में यात्रा करने वाले कोविंद पहले राष्ट्रपति हैं। उन्होंने सियाचिन में चौकी पर तैनात सैनिकों से कहा कि आप सबका जब भी दिल्ली आना हो , तो राष्ट्रपति भवन को देखने जरूर आएं। आप सबका राष्ट्रपति भवन में स्वागत है। अप्रैल 1984 में ‘ ऑपरेशन मेघदूत ’ के तहत भारतीय सेना ने सियाचिन में प्रवेश किया था। राष्ट्रपति ने सियाचिन युद्ध स्मारक में श्रद्धांजलि दी । यह स्मारक 11000 सैनिकों और अधिकारियों के बलिदान की निशानी है। सियाचिन की कुछ चौकी 20 हजार फुट से भी अधिक ऊंचाई पर है। इस क्षेत्र का तापमान शून्य से 52 डिग्री सेल्सियस नीचे तक तक चला जाता है।
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