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बड़ा कदम : सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में प्लास्टिक के लिफाफे हुए बंद

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लुधियाना- अमृतसर : पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के साथ कई बैठकों उपरांत शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कुदरती वातावरण के समर्थन में आज एक बड़ा फैसला करते हुए स्पष्ट किया है कि एक अप्रैल से सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में प्रसाद के लिए उपयोग में होने वाले प्लास्टिक के लिफाफों को बंद करके उनके स्थान पर मक्की और आलू स्टार्ज से बने लिफाफों का उपयोग शुरू होगा। इस बारे में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने शिरोमणि कमेटी के मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह समेत अन्य एसजीपीसी अधिकारियों के साथ आज शिरोमणि कमेटी कार्यालय में बैठक उपरांत फैसला लिया।

पन्नू ने बताया कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा राज्य में बढ़ रहे प्रदूषण को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास जारी है। इसकी ताजा कोशिश पंजाब में प्लास्टिक के लिफाफों को खत्म करने की है। उन्होंने कहा कि लिफाफों की जरूरत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता परंतु इसके स्थान पर अन्य परिवर्तनों को भी रदद नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के बजाय आलू और मक्की से तैयार किए गए घुलनशील लिफाफे उपयोगी है। घुलनशील लिफाफों को तैयार करने के लिए चार औद्योगों से बातचीत की गई है। अगर जरूरत पड़ी तो इनमें बढ़ौतरी की जाएंगी।

घुलनशील लिफाफो की शुरूआत गुरू की नगरी अमृतसर से एक अप्रैल को होंगी और सबसे पहले इनका प्रयोग सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में होगा। स्मरण रहे कि सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में दिवाली पर्व समेत अन्य उत्सवों पर एसजीपीसी और श्री अकाल तख्त साहिब ने पटाखें चलाने पर पाबंदी पहले से ही लगा रखी है।

एसजीपीसी के मुख्स सचिव डॉ रूप सिंह के मुताबिक श्री हरिमंदिर साहिब में 200 क्विंटल वार्षिक प्लास्टिक लिफाफों का उपयोग होता रहा है। इसके अतिरिक्त मीठी पिन्नी प्रसाद और कड़ाह प्रसाद पैकिंग के लिए 65 क्विंटल के करीब लिफाफों का उपयोग होता था। उन्होंने कहा कि प्रदूषण आज मानवता और पशु पक्षियों के लिए एक बड़ी समस्या है जबकि कई लोग प्लास्टिक के लिफाफों को कूड़ा-करकट के साथ जलाने का प्रयास करते है, जिससे सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब की शानो-शौकत पर भी वातावरण प्रदूषण का बुरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए मानव हित में यह फैसला करना लाजिम था।

– सुनीलराय कामरेड

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