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बड़े बेआबरू होकर निकले हम तेरे कूचे से सनम, गोल्डन गर्ल से छिनी डीएसपी की जिम्मेदारी

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लुधियाना : एशियन खेलो में लगातार 3 बार गोल्डन विजेता की हैट्रिक बनाने वाली मनदीप कौर जिसने 2010 की राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स) में भी सोने का तगमा जीतकर भारत की लाज बचाई। आज उसी खिलाडिऩ की गलत प्रशासनिक नीतियों के चलते जिंदगी ओह-पोह की स्थिति में है। सरकारों ने विशेषकर पंजाब सरकार की उदासीनता के चलते उसकी मेहनत का मूल्य वापिस नहीं किया। हालांकि मनदीप कौर को पंजाब सरकार की खेल नीति के मुताबिक दिसंबर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब पुलिस में अन्य 8 खिलाडिय़ों के साथ डीएसपी रैंक की जिम्मेदारी प्रदान की थी। परंतु कुछ शिक्षक योगयता की कमी के चलते केंद्रीय गृहमंत्रालय की सिफारिशों से पंजाब सरकार में गोल्डन गर्ल से डीएसपी की वर्दी छीनकर बरखास्त कर दिया है। सरकार का कहना है कि मनदीप ग्रेजुएट नहीं हैं। उन्होंने नियुक्ति पत्र लेते समय ग्रेजुएट न होने की बात स्पष्ट नहीं की थी, जबकि खेल कोटे से इस पद पर नियुक्ति के लिए ग्रेजुएट होना अनिवार्य है।

भारत-पाकिस्तान सीमावर्ती जिले खुर्द तरनतारन की रहने वाली मनदीप ने स्कूल गेम्स से निकलकर एथलेटिक्स को चुना था। राष्ट्रीय खेलों में 4 गुना 400 मीटर रेस में जलवा दिखाने के बाद मनदीप ने 2007 में ओमान में एशियन चैंपियनशिप जीतकर अपना नाम किया था। हालांकि, 2008 ओलंपिक गेम्स में मनदीप देश की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई थीं। मनदीप 2008 में ओलंपिक में पहले राउंड में ही बाहर हो गई थीं। 2009 में फिर उन्होंने एशियन चैंपियनशिप जीत कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। 2010 में हुए एशियन गेम्स व उसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में 4 गुना 400 मीटर रेस में मनदीप ने गोल्ड मेडल जीता था।

इसके बाद सरकार ने खेल नीति के तहत मनदीप सहित करीब एक दर्जन खिलाडियों को सरकार ने पंजाब पुलिस में नौकरी देने की घोषणा की थी, लेकिन 2012 से पहले किए गए वायदे को अकाली-भाजपा सरकार ने 2016 में पूरा किया था। 26 दिसंबर, 2016 को तत्कालीन डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने मनदीप सहित नौ अंतरराष्ट्रीय खिलाडियों को पंजाब पुलिस में डीएसपी के पद पर नियुक्ति पत्र सौंपे थे। इनमें हॉकी खिलाड़ी मनप्रीत सिंह, आकाशदीप सिंह, सरवनजीत सिंह रमनदीप सिंह, गुरविंदर सिंह व धरमबीर सिंह सहित एथलेटिक्स से अमनदीप कौर व खुशदीप कौर भी शामिल थीं। यह भी पता चला है कि डीएसपी के ओहदे से बरखासत कर दिए जाने के बाद अधिकारी चाहते है कि मनदीप कौर पंजाब पुलिस में सिपाही के तौर पर कोंसटेबल की नौकरी हासिल कर सकती है। चाहे वह पंजाब की चौक-चौराहे और सडक़ों पर खड़ी होकर सिपाही की तरह हर अधिकारी को सेल्यूट करती दिखे।

ऐसा होना ना केवल खेल जगत के लिए निंदनीय घटना है बल्कि खिलाडिय़ों के खेल कैरियर के साथ भी खिलवाड़ है। हालाकि शिक्षा योगयता पूरी करना कोई बड़ी बात नहीं। खेल जगत में भारत का नाम रोशन करने वाले सचिन तेंदुलकर हो या क्रिकेटर हरभजन सिंह हाल ही में पंजाब के हाकी खिलाड़ी गगन अजीत सिंह की बात करें तो अनेकों खिलाड़ी ऐसे उदाहरण है जब उन्हें डीएसपी रंैक दिया गया है। उसके बाद मुख्यमंत्री पंजाब और केंद्रीय गृहमंत्रालय की अनुमति के बाद वे अपनी योगयताएं पूरी करते रहे है। मनदीप के मुताबिक अगर पंजाब सरकार उसे 2 साल का वक्त दे तो वह अपनी शिक्षक योगयता पूरी कर सकती है। परंतु सियासी इच्छाशक्ति के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा। एथलीट की दुनिया में पंजाब के सिर्फ 2 खिलाडिऩें मनदीप कौर और मनजीत कौर हुई है, जिन्होंने भारत की उडऩ परी, पीटी उषा के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर की एशियन खेल और राष्ट्रमंडल खेलों में सोने का तगमा जीतकर गोलडन गर्ल का खिताब अपने नाम रखा है।

तीन गोल्ड मेडल जीतने वाली पंजाब की दूसरी महिला
मनदीप तीन गोल्ड मेडल जीतने वाली पंजाब की दूसरी महिला खिलाड़ी हैं। ग्रेजुएट न होने के कारण गृह विभाग ने डीएसपी पद के लिए उनकी नियुक्ति रद करने की फाइल पर मुहर लगा दी है। डीजीपी प्रशासन एमके तिवारी का कहना है कि खेल कोटे से नियुक्ति का यह फैसला सरकार का था, पुलिस ने इस बारे में कोई कारवाई नहीं की है।

कैप्टन से लगाई थी गुहार
मनदीप कौर ने बीते दिनों विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात कर गुहार लगाई थी कि उनकी मदद की जाए। वह जल्द ही अपने दस्तावेज पूरे करवा देंगी।

– सुनीलराय कामरेड

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