अमृतसर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) मेंं पूर्व प्रधान जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ गुट के समर्थकों को हाशिये पर लाने के लिये कमेटी में कल व्यापक फेरबदल किया गया।
सिखों की संसद कही जाने वाली एसजीपीसी संस्था को अब तक गुटबाजी से दूर समझा जाता रहा लेकिन हाल की कुछ घटनाओं से यह साबित हो गया है कि धार्मिक संस्था धड़ेबंदी से मुक्त नहीं। एसजीपीसी पर बादलों का कब्जा है तथा उनकी मर्जी से ही इसके प्रधान का चुनाव होता है। जत्थेदार मक्कड़ के स्थान पर जत्थेदार कृपाल ङ्क्षसह बडूंगर को प्रधान बनाया गया था।
जत्थेदार मक्कड़ ने आज यहां कहा कि संस्था को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष बनाये रखने की जरूरत है क्योंकि इसके कंधों पर सिखी के प्रचार का जिम्मा है। संस्था के प्रबंध संबंधी सारे अधिकार प्रधान के पास होते हैं। बहुत बड़ी संस्था होने के कारण निष्पक्ष तौर पर इसकी अहम जिम्मेदारी योज्ञ अधिकारियों को सौंपी जानी चाहिये क्योंकि अयोज्ञ लोगों के आने से कर्मचारियों की कार्यकुशलता पर प्रभाव पड़ता है।
पूर्व प्रधान के निष्ठावान पदाधिकारियों को बदल दिया गया है। उन्हें हाशिये पर लाकर अन्य स्थानों पर तबादले किये हैं। उनके सचिव रहे मंजीत सिंह को उप कार्यालय कुरूक्षेत्र में सचिव के तौर पर भेजा गया है। वह अब सिख मिशनरी के साथ हरियाणा गुरुद्वारे का काम देखेंंगे।
संस्था के सचिव अवतार सिंह को उप कार्यालय चंडीगढ़ तथा आरटीआई विभाग का जिम्मा सौंपा गया है। श्री दलजीत बेदी को संस्था के प्रकाशन, औडा सिंह को खरीद फरोख्त तथा सिख इतिहास अनुसंधान बोर्ड का प्रभार दिया है। श्री परमजीतसिंह को खेल विभाग के सचिव बनाये गये हैं। कुल मिलाकर जत्थेदार बडूंगर गुट हावी दिखायी दे रहा है।
संस्था में मुख्य सचिव से लेकर निचले पदों पर अंदरूनी खींचतान का असर कर्मचारियों पर पड़ा है। कर्मचारियों का मानना है कि पहले उनकी स्थिति बेहतर थी लेकिन जत्थेदार बडूंगर के आने के बाद उन्हें लाभ दिलाने के बजाय अलग अलग फंडों के नाम पर वेतन में कटौती की जा रही है। इससे कर्मचारियोंं में रोष भी है।वे अब सुधार की मांग कर रहे हैं तथा आम चुनावों की मांग भी उठने लगी है।
– वार्ता