लुधियाना : 80 और 90 के दशक के दौरान आतंकवाद के काले दौर में जिस प्रकार हुक्मरानों के इशारों पर पंजाब पुलिस के बिकाऊ खाकी वर्दीदारी अफसरों व मुलाजिमों ने स्वार्थों के चलते बेकसूर निराही लोगों को या तो आतंकवादी कहकर देश भक्ति की आड़ में कुर्बान कर दिया या फिर जिंदा-जी नकारा करके जेल की सलाखों के पीछे हमेशा के लिए धकेल दिया।
आज पुलिस के एक ऐसे स्वरूप का प्रमाण उस वक्त देखने को मिला, जब पंजाब में 2 साल के दौरान टार्गेट किलिंग की जांच के तहत चुनिंदा आधा दर्जन हिंदू नेताओं जिनमें जालंधर के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख बिग्रेडियर (रिटा.) जगदीश गगनेजा, लुधियाना के संघ चालक रविंदर गोसाई, अमित शर्मा, खन्ना के दुर्गा प्रसाद, जगेडा के सच्चा सौदा अनुयायाी बाप-बेटे सतपाल व रमेश समेत पादरी सुलतान मसीह की हत्याओं के संबंध में दबौचे गए आरोपी आतंकी रमणदीप सिंह उर्फ बुगगा और शार्प शूटर हरदीप सिंह उर्फ शेरा ने जांच एजेंसी की कडाई के आगे कबूल किया कि उन्होंने उक्त हत्याओं से पहले लुधियाना में शिव सेना हिंद के नेता अमित अरोडा और किदवई नगर स्थित आरएसएस की शाखा पर भी कातिलाना हमला किया था जोकि विफल रहा। स्मरण रहे कि इन बहुचर्चित मुकद्दमों पर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने एक अहम फैसले के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपील की थी कि उक्त हत्याओं के संबंध में पूरे मामलों की तहकीकात उच्च स्तर पर की जाये।
गृह मंत्रालय के आदेशों उपरांत 5 दर्जन से अधिक अफसरों व मुलाजिमों पर आधारित एनआईए की टीम आईजी व डीएसपी राजेश बखशी की अगुवाई तले इन दिनों पंजाब में तहकीकात के लिए जुटी हुई है तथा मौकों पर जाकर तथ्य जुटाये जा रहे है। हालांकि इन पूरी जांच के दौरान एनआईए की टीम मीडिया से दूरी बनाए हुए है तथा अधिकारिक रूप से किसी प्रकार की पुष्टि नहीं की जा रही है। अपनी जांच के संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लुधियाना में डेरा डालकर एक-एक कडी की जांच को खंगालना शुरू कर दिया और इसी क्रम में 3 फरवरी, 2016 के घटनाक्रम के दौरान शिव सेना ङ्क्षहद के अध्यक्ष अमित अरोड़ा पर हुए हमले के दौरान एनआईए के तीन चुनिंदा अधिकारियों ने तथ्यों की जानकारी के लिए बुलाया। बैठक के उपरांत अमित अरोड़ा ने बताया कि उसने समस्त जानकारी तथ्यों सहित जांच अधिकारियों को सौंप दी है। उन्होंने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह व डीजीपी पंजाब सुरेश अरोडा का तहदिल धन्यवाद करते हुए कहा कि वह अब समाज में गर्व से कह सकता है कि मैं हिंदू हूं और मैं बेकसूर था।
उन्होंने कहा कि मुझे साजिशन पंजाब पुलिस के 3 अफसरों ने जानबूझकर तथ्यों को नजरअदांज करके फंसाया था और जिसकी कीमत उसने जेल की सलाखों के पीछे काटकर अदा की है। अमित ने अपनी नम हुई आंखों को पौंछते हुए दर्द को बयां करते हुए कहा कि समाज सेवा व देश भक्ति का सिला उसे अपनी बीवी व बच्चों को खोकर दिया है। उन्नती के शिखर पर छू रहा हौजरी से संबंधित कारोबार जीरो पर आकर सिमट गया। अमित के मुताबिक कलंक लगते और अर्श से फर्श पर आते ही उसकी पत्नि किरण मायके सोनीपत चली गई और अपने साथ बेटा प्रभजोत व बेटी तमन्ना को भी साथ ले गई।
हालांकि अब पंजाब पुलिस व केंद्रीय जांच टीम द्वारा इकट्ठे किए गए तथ्यों पर डीजीपी सुरेश अरोडा ने भी मीडिया के सामने यह कबूल किया है कि अमित अरोडा पर 3 फरवरी, 2016 को लुधियाना बस्ती जोधेवाल के एरिया में हुआ कातिलाना हमला एक आतंकी घटना था। जबकि तात्कालीन पंजाब पुलिस के तीन अधिकारियों ने अमित अरोडा पर हुए हमले को फर्जी करार दिया था। उनके अनुसार अमित अरोडा ने यह पूर्व नियोजित साजिश के तहत और गनमैन व सुरक्षा दस्ता हासिल करने के लिए स्वयं ही अपने उपर हमला करके ड्रामा रचा था। स्मरण रहे कि इस घटना के दौरान अमित अरोडा सीएमसी अस्पताल में कई दिन जिंदगी व मौत के बीच संघर्ष करते रहे है।
इस दौरान अमित को पंजाब पुलिस व सीबीआई की जांच टीमों ने जगदीश गगनेजा के मर्डर केस में प्रोडक्शन वारंट पर लेकर रिमांड पर लिया था और काफी धुनाई के दौरान पुलिस टार्चर करके पूछताछ की गई थी। अमित के अनुसार इस दौरान पंजाब पुलिस की जांच टीम ने सीआईए लुधियाना के अंदर उसकी धर्मपत्नि और 9 साल के उसके बेटे व 7 साल की बेटी के सामने जमकर जलील किया और गालियां निकालते हुए मुझे दोषी करार देते एक षडयंत्रकारी और समाज विरोधी कहा। अमित के मुताबिक उसकी बच्चों और बीवी के सामने पिटाई होती रही जबकि वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था और फिर अगले ही दिन पुलिस ने मीडिया के कैमरों के सामने दोषी करार देते हुए जग हंसाई की गई और आज मैं एनआईए की टीम व बांके बिहारी की कृपा से वापस समाज में सिर उठाने के काबिल हुआ हूं। अमित ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले ही उसे उसके बच्चों का फोन भी आया है और उन्होंने जल्द ही मिलने का भरोसा दिलाया है। फिलहाल, अमित बीते हुए कल को एक बुरा सपना समझकर भूल जाना चाहता है। उसका यह भी कहना था कि भगवान ऐसा वक्त दुश्मन को भी न दिखाये।
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– सुनीलराय कामरेड