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पंजाब की आबो-हवा में पशु-पक्षीयों को भी सांस लेना हुआ दुर्भर

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लुधियाना : दिल्ली की तरह पंजाब की आबो-हवा इंसानों के लिए ही घातक नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी नुकसानदायक सिद्ध हो रही है। पिछले दस दिनों में थोड़ी ही दूर देखना मुश्किल ही नहीं बल्कि इंसानों के लिए सडक़ों पर रेंगना चलना को मजबूर होना पड़ रहा है। बच्चों व बूढों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही है। पंजाब के खेत-खलिहानों में पराली का जलना व प्रदूषण के धुएं ने लोगों को घरों में नजरबंद कर दिया है लेकिन इस दम घौंटू धुएं ने केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि कुत्तों समेत अन्य पालतू जानवरों का भी जीना दूभर कर रखा है। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब की झीलें हरि के पतन, कांजली और रोपड़ लेक पर भी इन दिनों हजारों मील दूर से आई हुई मेहमान पक्षीयों की प्रजातियां स्माग वाले जहरीले धुएं के चलते असहज महसूस कर रहे है और उनमें भी कमी पाई जा रही है। रोजमर्रा की तरह 7 से 10 गुना प्रदूषण का स्तर पाएं जाने के कारण गोरैया, हंस, चील, बाज, किंगफिशर समेत मोरों की कई प्रजातियां पंजाब से हमेशा के लिए अलविदा हो चुकी है।

लुधियाा स्थित गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल यूनिर्वसीटी (गडवासू) के चिकित्सालय में इन दिनों आम दिनों की अपेक्षा कुछ अधिक ही भीड़ दिखाई दे रही है। अधिकांश लुधियाना ही नहीं बल्कि मोगा, बठिंडा, फिरोजपुर, तरनतारन से भी कुछ दिनों से रेस्पेरीटेरी डिसिज से पीडि़त काफी पालतू कुत्ते इलाज के लिए लाए जा रहे है। जानकारी के अनुसार यह केवल पंजाब से नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान से भी आ रहे है। ज्यादातर पालतू कुत्तों को जुकाम, खांसी व अन्य तरह की कई बीमारियों की शिकायत मिल रही है। गडवासू के डाक्टर कीर्ति दुआ के अनुसार खराब मौसम व बढ़ रहे प्रदूषण के कारण डेढ़ से अढ़ाई दर्जन डॉगस इलाज के लिए आ रहे है। सभी डॉगस में एक ही बीमारी देखने को मिल रही है। जिसके लिए सर्दी के मौसम के दौरान डॉगस को सही ढंग से खाने – पीने व खास ध्यान देने के लिए जागरूक किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार गांवों में ज्यादा पराली जलाई जाती है। वहां के जानवरों पर इस धुंए का अधिक प्रभाव है।

गांव मलसियां के सरपंच का दावा है कि इस ठिठुरती ठंड व प्रदूषण के बीच आस-पास के कई गांवों के आवारों कुत्तें या मर गए या इलाका छोड़ किसी दूसरे इलाके में जाने को मजबूर हो गए है। डा. कीर्ति दुआ ने बताया कि सर्दी के मौसम में पालतू डॉगस को अधिक बचाव करना चाहिए और सर्दी के मौसम में डॉगस के बाल नहीं काटने चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार डॉगस की फर में सबसे अधिक हीट होने के कारण कुत्तों को सर्दी से बचाये रखती है। कोहरे में डॉगस को सैर के लिए बाहर नहीं ले जाना चहिए। हो सके तो उसे घर के अंदर हीं टहलाना चाहिए। कुत्तों के लिए गर्म पानी व कंबल का विशेष प्रबंध होना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार बदलते मौसम के चलते जानवरों में भी मानसिक तनाव बढ़ा है। जिस प्रकार एक नवजात बच्चे की देखभाल घर के बड़े बुजुर्ग करते है, उसी प्रकार पालतू जानवरों की भी हमें रक्षा करनी चाहिए।

– रीना अरोड़ा

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