लुधियाना-अमृतसर : सिक्किम स्थित श्री गुरूनानक देव जी से संबंधित ऐतिहासिक स्थान ‘गुरूद्वारा गुरू डांगमार Ó संबंधी कानूनी कार्यवाही के साथ-साथ इसकी ऐतिहासिकता उजागर करने के लिए प्रक्रिया आरंभ करने पश्चात शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अब पंजाब के राज्यपाल के सम्मुख इस मामले को रखने की तैयारी कर ली है। शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर ने पंजाब के राज्यपाल श्री वी.पी सिंह बदनौर को बकायदा एक पत्र लिखकर बातचीत के लिए समय मांगा है। पत्र में मामले की गंभीरता का जिक्र करते हुए शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि मंडल को समय देने की मांग की है। उन्होंने लिखा कि सिक्किम प्रशासन की शह पर लामो द्वारा प्रथम पातशाही जी के ऐतिहासिक गुरूद्वारा साहिब को बुध गोकक्षा में बदल दिया गया है और पावन श्री गुरू ग्रंथ साहिब समेत अन्य पवित्र सामान को बाहर निकालकर बेअदबी की गई है।
उन्होंने कहा कि जहां -जहां श्री गुरू साहिबान के कदम पड़े सिखों के लिए वह स्थान विशेष धार्मिक अहमियत रखता है। इसलिए गुरूद्वारा साहिब गुरू डांगमार के अस्तित्व को खत्म किए जाने के प्रयत्नों के कारण सिख संगत में भारी रोष फैल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संंबंध में एसजीपीसी की आंतरिम कमेटी द्वारा जहां प्रस्ताव पेश करके इस घटना की जोरदार निंदा की गई है, वही पंजाब के राज्यपाल समेत भारत सरकार के पास मामले के हल के लिए अप्रोच करने का फैसला भी किया गया था।
शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सिक्किम स्थित ‘गुरूद्वारा गुरू डांगमार ‘ और चुंगाथारा की सिख संगत की भावना अनुसार गुरूघर के अस्तित्व को बरकरार रखने हेतु हर प्रकार के यत्न किए जाने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी तोड़ पर रोक लगाते हुए यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। लिहाजा हाईकोर्ट मेें इस मामले की सुनवाई 13 सितम्बर को होनी है।
इधर प्रो. बडूंगर ने यह भी स्पष्ट किया कि इस गुरूद्वारा साहिब की ऐतिहासिक महत्वता केा उजागर किया जाएंगा और विशेषज्ञों द्वारा हर प्रकार की कानूनी पक्ष की जानकारी लेकर संघर्ष किया जाएंगा। उन्होंने बयान जारी करते हुए यह भी कहा कि इस संबंध में एक उच्च कमेटी कायम की जा रही है, जिसमें डॉ कृपाल सिंह चंडीगढ़, डॉ बलदेव सिंह अमृतसर, डॉ धर्मवीर सिंह पटियाला और डॉ दलविंद्र सिंह लुधियाना को शामिल किया गया है। इस कमेटी को डॉ चमकौर सिंह कोडीनेट करेंगे। प्रो. बडूंगर ने कहा कि सिक्किम स्थित उक्त गुरूधामों की रक्षा के लिए शिरोमणि कमेटी द्वारा किसी भी प्रकार की कमी नही रहने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रथम पातशाह से संबंधित इन गुरूधामों के साथ सिख संगत की आस्था जुड़ी हुई है परंतु सिक्किम स्थित लामों ने गुरूद्वारा साहिबान के अस्तित्व को खत्म करने के लिए घिनौनी साजिश रची है। उन्होंने कहा कि गुरूद्वारा साहिबान की पूरी स्थिति का जायजा लेने के लिए शिरोमणि कमेटी सदस्य भाई राजिंद्र सिंह मेहता के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भेजा गया था, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में बेअदबी की पुष्टि की है।
उधर सिक्किम स्थित हाईकोर्ट में भी सिख याचि कर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि आधुनिककरण के नाम पर प्राचीन गुरूद्वारा साहिब को तोड़ा जा रहा है। अधिकारियों ने वहां पर रखे श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी को जब्री हटाकर सड़क पर रख दिया था। जिक्रयोग है कि सिख धर्म में यह मान्यता है कि गुरूनानक देव जी जब भ्रमण के दौरान उस स्थल पर पहुंचे थे तो उस वक्त स्थानीय लोगों को पानी की भारी समस्या थी, ऐसे में गुरू जी ने वहां डांग मारकर पानी निकाला था।
– सुनीलराय कामरेड