चंडीगढ़: केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर के मसले को आपसी सहमति विचारविमर्श से सुझलाने के दिए गए निमंत्रण के प्रति प्रोत्साहन देते हुए पंजाब व हरियाणा ने बातचीत द्वारा इस विवाद का साझा हल ढूढऩे के लिए यत्न करने के लिए सहमति जाहिर की। उत्तरी जोनल कौंसिल की 28वीं बैठक को संबोधित करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर के विवाद को आपसी सहमति से हल करने पर जोर देते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत रिपेरियन सिद्धात के आधार पर दरियाई पानी के उचित प्रयोग के अनुकूल हल के लिए संबधित राज्यों को भारत सरकार के साथ तालमेल करने के दिए निमंत्रण के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री ने यह पक्ष रखा।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे केन्द्रीय गृहमंत्री ने कैप्टन द्वारा इस मसले को आपसी बातचीत द्वारा हल करने के दिए सुझाव के साथ सहमति जाहिर करते हुए कहा कि सबसे पहले तो आपसी बातचीत द्वारा इस मुददे का हल ढंूढ़ा जाना चाहिए और यदि कोई मसला पूरा नही होता तो उसको अदालत के फैसले पर छोड़ देना चाहिए। उन्होने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों को आपस में बैठाकर दोनों पक्षों को स्वीकृत हल तक पहुंचने के लिए मसला विचार करने का सुझाव दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि केन्द्रीय जल संशाधन मंत्रालय द्वारा इस प्रक्रिया को आगे ले जाने के लिए शीघ्र अति शीघ्र दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों की बैठक बुलाई जाए।
मुख्यमंत्री ने उन क्षेत्रों से नारकोटिक पदार्थो की चोरी को रोकने के लिए प्रभावशाली कदम उठाने का निमंत्रण दिया जिन क्षेत्र में दवाईयां व अन्य संबधित उदेश्यों के लिए इस की कानूनी रूप से पैदावार की जा रही है। मुख्यमंत्री ने राज्यों को वित्तीय रूप से अपनी विकास प्राथमिकताए सीखने के लिए पार्टी स्तर से उपर उठकर अत्याधिक अख्तियार देने की मांग की क्योकि राज्य सरकारें जमीन स्तर पर लोगों को दरपेश समस्याओं से उनके हल करने के साथ साथ स्थितियों को अधिक भलीभांति समझती है। उन्होने यह भी कहा कि लोगों के जीवन स्तर को उंचा उठाने को यकीनी बनाने के लिए राज्य सरकार प्रत्यक्ष रूप से जवाबदेह होती है। मुख्यमंत्री ने प्रारभिंक विकास आवश्यकताओं के लिए राज्यों को ओर फंड देने की जरूरत का जिक्र करते हुये राज्यों को हासिल होते केन्द्रीय फंड बढाकर कम से कम पचास प्रतिशत करने की मांग को दोहराया।
मुख्यमंत्री ने पंजाब के पुर्नगठन के अवसर पर भारत सरकार द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन में 60:40 के अनुपात के लिये फैसले की मौजूदा समय पालना ना होने पर उन्होंने कहा कि इसका सीधा संबध भारत के केन्द्रीय शासित राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में पंजाब व हरियाणा के बीच है। उन्होने केन्द्रीय गृह मंत्री को अपील की कि सभी विभागों व कर्मचारी श्रेणियों में भर्ती के मौके 60:40 के अनुपात की सख्ती से पालना को यकीनी बनाने के लिए चंडीगढ प्रशासन को आदेश जारी किये जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रोजैक्ट देश के हित में होने के साथ साथ पंजाब और जम्मू कश्मीर के लोगों के हित में भी है। इस प्रोजेैक्ट के निर्माण का कार्य वर्ष 2014 में रोक दिया गया था कैप्टन ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री इस प्रोजैक्ट के निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए निजी रूप से इस मामलों को देखने और समझौते को निश्चित करने की अपील की।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश में अपने हमरूतबा से हिमाचल प्रदेश के उद्योगो व शहरों के दूषित पानी का बहाव विभिंन नदियों -नालों द्वारा सतलुज में पडऩे से रोकने के लिए शीघ्र दखल देने की मांग की । कैप्टन ने कहा कि पंजाब के बहुत से हिस्सों में सतलुज का पानी लोग पीने के लिए प्रयोग करते है उन्होने कहा कि दरियाओं के पानी को साफ करने के लिए उनकी सरकार ने एक व्यापक प्रोजैक्ट शुरू किया है और अगले तीन वर्षो में प्रयोग हुआ पानी संशोधित करके पंजाब के दरियाओं में बहने को यकीनी बनाया जाएगा। बेैठक में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अतिरिक्त पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, दिल्ली के लै. जनरल अनिल बैजल, दिल्ली के वातावरण मंत्री अनिल माधव दवे, जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री डा. निर्मल कुमार सिंह, हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री ठाकुर कौल सिंह और राजस्थान के जल संसाधन मंत्री डा. राम प्रताप उपस्थित थे।
– उमा शर्मा