लुधियाना-अमृतसर : डेरा सिरसा मामले में सीबीआई अदालत द्वारा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाए जाने पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि अदालत के इस फैसले से सिखों के दिलों को बड़ा सुकून मिला है और आम आवाम का अदालत के प्रति विश्वास और सम्मान बढ़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि डेरा मुखी तो शुरू से ही विवादों में रहा है। जत्थेदार ने अपनी बात को मीडिया में आगे बढाते हुए कहा कि कुछ सिख डेरा प्रमुख के झासे में आकर उनसे जुड़ गए थे परंतु अब उसका असली घिनौना दुष्कर्मी चेहरा सामने आ गया है। डेरे के साथ जुड़े सिखों के बारे में सिंह साहिब ने यह भीकहा कि जिन लोगों की मानसिकता कमजोर होती है, वो ही गुरू घर छोड़कर डेरों के साथ जुड़ते है। दूसरी तरफ ज्ञानी गुरबचन सिंह ने यह भी कहा कि जो सिख पुन: अपने गुरू घर से जुडऩा चाहता है, उनका वह तहदिल स्वागत करेंगे।
उन्होंने कहा कि सिखों के प्रचार और प्रसार के लिए विशेष मुहिम छेड़ी जाएंगी। अकाल तख्त के जत्थेदार ने पंजाब सरकार के पुख्ता प्रबंधों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार ने अपनी डयूटी ईमानदारी से निभाई है, जिस कारण पंजाब में कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई। यहां जिक्रयोग है कि पटियाला गए शिरोमणि कमेटी के प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर ने भी इसी मुददे पर सीएम अमरेंद्र सिंह की प्रशंसा की है।
इसके अतिरिक्त न्याय प्रणाली पर मौजूदा प्रदर्शन के बारे में जत्थेदार ने यह भी कहा कि इस प्रकार सिखों को 1984 के कत्लेआम केसों में न्याय मिलने की आस बढ़ी है। स्मरण रहें कि जत्थेदार गुरबचन सिंह समेत अन्य सिख तख्तों के जत्थेदारों ने 24 सितम्बर 2015 को डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बगैर मांगे माफी दे दी थी, इसके बाद सिख संगत के विरोध प्रदर्शन के कारण माफीनामा खारिज किया था, इसी कारण जत्थेदार गुरूबचन सिंह की काफी जग हंसाई हुई थी।
– सुनीलराय कामरेड