लुधियान: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की सेना द्वारा की गई गोलीबारी के दौरान बीते दिनों शहीद हुए होशियारपुर जिले के जवान बख्तावर सिंह की मृतक देह उनके पैतृक गांव हाजीपुर पहुंची तो उनकी मृत देह का सजल आंखों से और सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार आज कर दिया गया। जिक्रयोग है कि जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के नौशहरा सैक्टर में पाकिस्तान फौज ने युद्धबंदी की घोर उल्लंघना करते हुए गोलीबारी की थी, जिसमें 8 सिख लाई फौज का 34 वर्षीय जवान गंभीर रूप से जख्मी हुआ। उसके बाद अस्पताल ले जाते समय जख्मों के दर्द को ना सहते हुए उसने दम तोड़ दिया। हाजिपुर के मुहल्ला पंडा के सरदार प्रीतम सिंह के होनहार बेटे बख्तावर सिंह के शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरे इाके में शोक सी लहर दौड़ गई।
14 जनवरी 1983 को प्रीतम सिंह और माता शीला कौर के घर जन्म लेने वाले बख्तावर सिंह ने अपने प्रारङ्क्षभक शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त करने के बाद 2003 में सेना के काफिले में भर्ती हो गया। बख्तावर सिंह की शादी 2005 जसबीर कौर के साथ हुई जबकि 12 वर्षीय जसप्रीत कौर, 10 वर्षीय मनिंद्र कौर और 9 महीने का एक बेटा भी है। जानकारी के मुताबिक बख्तावर सिंह के पिता प्रीतम सिंह और बड़ा भाई तीर्थ सिंह भी सेना से सेवानिवृत्त है। बख्तावर के पिता प्रीतम सिंह ने स्वयं 1971 की लड़ाई में हिस्सा लिया था। बख्तावर सिंह 4 बहनों का सबसे छोटा भाई था।
आज बख्तावर सिंह के शहीद होने पर लोगों में पाकिस्तान के विरूद्ध भारी गुस्सा देखने को मिल रहा है। यह भी पता चला है कि बख्तावर सिंह ने जून महीने के अंत में छुटटी लेकर गांव आना था परंतु गांव आने से पहले ही वह शहीद हो गया। शहीद की बीवी जसबीर ने अपने पति की शहादत पर फक्र महसूस करते हुए कहा कि मैं जानती हूं कि अब मुझे तमाम उम्र सफेद दुपटटा लेकर जीना है परंतु मुझे मान है कि मेरे पति देश की रक्षा की खातिर वीरगति को प्राप्त हुए है। उसकी ऐसी भावना को सुनकर हर शख्स की आंखें नम हो गई जबकि बख्तावर के पिता प्रीतम सिंह ने कहा कि पाकिस्तान लुक-छुपकर वार पर वार किए जा रहा है जबकि मोदी सरकार को चाहिए कि अब सीधा जंग के मैदान में जवाब दिया जाएं।
हालांकि बख्तावर की माता शीला कौर पिछले कुछ दिनों से बीमार है, उसका भी अपने बेटे की याद में रो-रोकर बुरा हाल है और वह बार-बार सजल आंखों से बेटे की तस्वीर को निहारती है। आज बख्तावर सिंह की मृतक देह जब पैतृक गांव में पहुंची तो सबसे पहले सेना के जवानों ने उसकी मृत देह को उसके घर-आंगन में लाया गया, उसके बाद अरदास करते ही बाजार से होती हुई शमशान घाट पहुंची। इस शव यात्रा में अंसख्य लोगों ने हिस्सा लिया। भीड़ का सैलाब विशेषकर नौजवानों ने भारत माता के नारें लगाते हुए गांव के शहीद को सच्ची श्रद्धांजलि दी।
माहौल उस वक्त गमगीन हो उठा, जब शहीद की पत्नी जसबीर कौर ने अपने बच्चों और रिश्तेदारों की मौजूदगी में पति की शहादत कबूल करते हुए पाकिस्तान के विरूद्ध नारे लगाएं और पूरे जोश के साथ भारत माता की जयघोष भी की। पार्थिक देह के अंतिम दर्शनों के लिए आसपास के दर्जनों गांवों के लोग उमड़ पड़े। परिजनों के आंखों में आंसू भी दिखे लेकिन गर्व से सीना चौड़ा भी था। शहीद का पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और शहीद के पुत्र जतिन ने अपने पिता के शव को मुखागनी दी। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय उपप्रधान अविनाश राय खन्ना, पूर्व सांसद संतोष चौधरी, विधायक रजनीश कुमार बब्बी, जेएस अरोड़ा बिग्रेडियर विशेष रूप से मौजूद थे।
(मुकेरिया, सुनीलराय कामरेड)