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राष्ट्रपति ने जालियांवाला बाग में शहीदों को श्रद्धांजलि और दुर्ग्याणा मंदिर में जाकर माथा नवाजा

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लुधियाना-अमृतसर : देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज अपनी पत्नी व पारिवारिक सदस्यों समेत गुरु की नगरी श्री अमृतसर साहिब पहुंचे। उन्होंने रूहानियत की सर्वोच्च शक्ति श्री दरबार साहिब जी के दर्शन किए और सच्चखंड श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेका। वह श्री गुरू रामदास लंगर हाल भी गए, उन्होंने गुरुघर में अरदास किया और लंगर भी छका। इस दौरान एसजीपीसी के प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर ने कहा कि श्री कोविंद ज्ञानी जैल सिंह के पश्चात देश के दूसरे राष्ट्रपति है जिन्होंने श्री गुरू रामदास लंगर हाल में पंगत में बैठकर संगत के साथ गुरू घर का प्रसादा छका। इस दौरान महामहिम ने श्री गुरु राम दास लंगर हाल में जा कर बन रहे लंगर और संगत को बरताए जा रहे गुरु के लंगर की प्रथा को देखा और समझा।

इससे पहले शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडंूगर ने उन्हें जी आया नूं कहते हुए स्वागत किया। दरबार साहिब में माथा टेकने उपरांत महामहिम ने एसजीपीसी की विस्टर बुक में लिखा कि ‘आज उन्हें पवित्र श्री दरबार साहिब हरिमंदिर साहिब आकर माथा टेकने का सौभागय प्राप्त हुआ। सिख धर्म की महान परंपराओं, पंगत, संगत और लंगर में सभी भेदभाव को मिटाने की जो शक्ति है उसका अनुभव हुआ’। श्री रामनाथ कोविंद आज राष्ट्रपति बनने उपरांत पहली बार श्री हरिमंदिर साहिब नतमस्तक होने आए थे। उन्होंने विस्टर बुक में यह भी लिखा कि यहां आकर श्रद्धालुओं में सभी के भले के लिए काम करने की भावना को देखकर अपने देश की मानवतावादी मूल्यों पर गर्व होता है। यहां आकर उन्हें जो अनुभव मिला, उसी के आधार पर मैं परमपिता परमात्मा से गुरूनानक देव जी का आर्शीवाद मांगता हूं ।

भारी सुरक्षा बंदोबस्त के तहत महामहिम दरबार साहिब में माथा टेकने उपरांत शहीदी स्थल जालियांवाला बाग भी गए जहां शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने उपरांत उन्होंने लिखा कि यहां अमृतसर दौरे के दौरान जलियांवाला बाग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों को नमन करने का अवसर मिला। इस एतिहासिक स्थान पर आकर अपने प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों को याद करके मेरी आंखें नम है और मैं अपने दिल की गहराई से उन शहीद सपूतों के सम्मान में नतमस्तक होता हूं। उन्होंने जालियांवाला बाग के विभिन्न हिस्सों का अवलोकन किया। इसके उपरांत वह हिंदू तीर्थ स्थल दुर्गायणा मंदिर भी गए, जहां कमेटी सदस्यों द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति के साथ उनका परिवार और पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, पंजाब सरकार की ओर से केबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह, एसजीपीसी के अध्यक्ष प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर, मुख्य सचिव डा रूप सिंह , महासचिव अमरजीत सिंह चावला आदि ने स्वागत किया।

हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने के बाद राष्ट्रपति को एसजीपीसी की ओर से श्री हरिमंदिर साहिब के नए बने सूचना केंद्र में श्री हरिमंदिर साहिब के माडल, लोई, सिरोपा, पुस्तकों के सेट आदि से सम्मानित किया गया।

खालसाई ड्रेस में तैनात रही एसजीपीसी की टास्क फोर्स
एसजीपीसी की टास्क फोर्स को खालसाई ड्रेस में तैनात किया गया था। उन्होंने पीली पगडिय़ां, नीले चोले, सफेद पायजामा और पीले रंग के कमरबंद में सजे रहे। परिक्रमा की सारी सुरक्षा एसजीपीसी की टास्क फोर्स और पंजाब पुलिस की सिविल ड्रेस पुलिस के पास रही।

– सुनीलराय कामरेड

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