राजस्थान में हुए उपचुनावों में मिली हार के बाद सूबे में बीजेपी की स्थिति बदल रही हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव और 2014 के आम चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली पार्टी के लिए हाल ही में आए अलवर और अजमेर लोकसभा सीटों और मांडलगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव के नतीजों ने मुश्किलें बढ़ा दी है। हार के बाद सूबे में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ आवाज उठने लगी है।
वही उपचुनावों में बीजेपी की करारी हार से कहीं न कहीं राजस्थान के बीजेपी नेताओं के मन में गहरी छाप छोड़ दी है और उन्होंने बीजेपी की पुरानी गलतियों को सुधारने का मन बना ही लिया है ।
आपको बता दे कि इंटरव्यू के दौरान वंसुधरा से पूछा गया कि ऐसी क्या वजह रही जो दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हाल में उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा? , जवाब में वसुंधरा राजे ने कहा कि हालांकि हम अब भी परिणामों की खोज कर रहे हैं। विपक्ष की ओर से क्षुद्र राजनीति, मौजूदा विधायकों के खिलाफ एंटी इंकम्बैंसी, जनसेवाओं के मामले में फील्ड में तैनात अफसरों की असंवेदनशीलता और लापरवाही उपचुनावों में कमजोर प्रदर्शन के प्राथमिक कारण लगते हैं। कुछ क्षेत्रों में जनता के साथ जुड़ाव की कमी थी।
वही , दूसरा प्रश्न पर वसुंधरा राजे से पूछा कि क्षुद्र राजनीति से आपका क्या कहना है। सवाल के जवाब में उदाहरण देते हुए कहा कि अगड़ी जातियों को मिसाल के तौर पर आगे आना चाहिए, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर कट्टर रुख अपना रही हैं। क्या ऐसा विकास के तौर पर सही होगा? क्योंकि विपक्षों ने अपने मतलब के लिए उनकी भावनाओं के साथ खेला है और इस पर अपनी गंदी राजनीति की है।
तीसरा प्रश्न पर फिर उनसे पूछा गया कि आप कांग्रेस को किस तरह दोषी मानती है? वहीं उत्तर देते हुए कहा कि दिसंबर 2008 में मेरे ऑफिस छोड़ने से पहले डिस्कॉम (वितरण कंपनियां) का कर्ज 15000 करोड़ था। दिसंबर 2013 में जब मैंने दोबारा चार्ज संभाला तो ये बढ़कर 80 हजार करोड़ हो गया, लेकिन इस साल के अंत तक ये फिर घटकर ढाई हजार करोड़ हो जाएगा।
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