अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के आह्वान पर प्रदेश के सेवारत चिकित्सकों के आज सामूहिक अवकाश पर रहने से चिकित्सा सेवाएं गड़बडा गयी। राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सकों के हड़ताल पर रहने के कारण बाहर से आने वाले मरीज इलाज के लिये इधर से उधर भटकते नजर आये। कई मरीज को चिकित्सकों के नही मिलने से निजी क्लिनीकों की शरण में जाते देखे गये। प्रदेश में इन दिनों मौसमी बीमारियों के कारण मरीज वैसे भी काफी परेशान है।
डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों से ग्रस्त मरीज उपचार के लिये भटकते नजर आये। सेवारत चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर रहने के कारण हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी में फूड पाइज़निंग से बीमार एक ही परिवार के पांच सदस्यों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार नहीं मिलने के कारण उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया है। इसी तरह प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी चिकित्सकों के उपलब्ध नही होने से मरीजों को इधर-उधर भटकना पड रहा है।
अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर काफी लंबे समय से आंदोलनरत थे। राज्य सरकार द्वारा समझोते के बावजूद अभी तक ठोस कदम नही उठाने पर चिकित्सकों को मजबूरन सामूहिक अवकाश लेने का कदम उठाना पडा। चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर जाने और मरीजों को समुचित उपचार उपलब्ध कराने के लिये कडा रूख अपनाते हुये गृह विभाग ने कल देर रात ही अधिसूचना जारी कर राजस्थान अत्यावश्यक सेवाएं अधिनियम के तहत रेस्मा लगा दिया।
रेस्मा के तहत पुलिस हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है। रेस्मा के मद्देनजर अधिकांश चिकित्सक नेता भूमिगत हो गये ओर अपने मोबाईल को बंद कर दिया है। चिकिकत्सकों की 33 सूत्रीय मांगों में विभाग के राज्य स्तरीय उच्च पदों पर डॉक्टरों का कैडर बनाकर प्रमोशन करने, ड्यूटी के दौरान सुरक्षा उपलब्ध कराने, अस्पताल समय को एक पारी का करना आदि शामिल है।