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राममंदिर विवाद : मोहन भागवत का बयान राजनीति से जुड़ा , SC का फैसला होगा सर्वमान्य – राज्यपाल रामनाईक

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अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि पर केवल राम मंदिर के निर्माण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देने से बचते हुये उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने आज कहा कि इस मसले में उच्चतम न्यायालय का फैसला सर्वमान्य होगा।

36वें रामायण मेले के समापन के मौके पर यहां आये राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि मोहन भागवत का बयान राजनीति से जुड़ा है और संवैधानिक पद पर आसीन होने के कारण वह इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। वैसे भी यह श्री भागवत के निजी विचार हैं। इसलिये उनका इस विषय पर बोलना ठीक नही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या विवाद का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है इसलिये न्यायालय जो फैसला करेगी उसी को देशवासी मानेंगे।

इससे पहले अपने संबोधन में राज्यपाल रामनाईक ने रामायण को दुनिया का अनूठा ग्रंथ बताते देते हुये कहा कि राम ने जो आदर्श तथा चरित्र प्रस्तुत किये हैं यदि उसका थोड़ सा अंश भी मानव अपने जीवन में उतार ले तो मानवता को एक दिशा दे सकता है। देश रामलीला को प्रतिवर्ष देखता है लेकिन उससे ऊबता नहीं है। मानवीय मूल्यों व नैतिकता की शिक्षा देने वाले इस अनूठे ग्रंथ से अनुशासित जीवन जीने की शिक्षा मिलती है। उन्होंने रामायण की लिखी चौपाई को भी पढ़कर बताया कि अगर अपने जीवन में अमल किया जाय तो देश कितनी तेजी से विकास करेगा।

उन्होंने रामायण का साहित्यिक महत्व बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में बहुत कुछ ऐसा है जिससे सीख ली जा सकती है। यहाँ आदमी-आदमी के बीच कायम सछ्वाव और पारिवारिक एकता से निश्चित तौर पर तनाव कम होता है। उन्होंने कहा कि समाजवादी विचारक डा। राम मनोहर लोहिया ने रामायण मेले की शुरुआत की थी। इससे लगता है कि पूरा समाज श्रीराम के आदर्शों को मानता है।

राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ मेला मुस्लिम बाहुल्य देश इण्डोनेशिया में होता है। उनका कहना था कि मुस्लिम बाहुल्य देश में रामायण के माध्यम से हिन्दू-मुस्लिम का भाईचारा बनाया जा सकता है। रामायण विभिन्न भाषाओं में लिखी गयी है। रामायण से भाईचारा और अलगाववाद को रोकने में मदद मिल सकती है।

राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि अयोध्या श्रीराम की नगरी है और इस नगरी में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। राम के आदर्श चरित्र को जनमानस तक पहुँचाना ही रामायण का उद्देश्य है। मनुष्य अपने जीवन में दु:ख और सुख पर भी राम का ही नाम लेता है। भारत के जीवन में कण-कण में राम बसे हुए हैं। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या की मिट्टी में जो सुगंध है वह आज हमें भी प्राप्त हुई।

उन्होंने कहा कि श्रीराम की प्रेरणाह्मोतों के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिये। कर्तव्य के निर्वाह के बिना अधिकार की रक्षा नहीं हो सकती। प्रभु श्रीराम की कृपा केवल अयोध्यावासियों को नहीं बल्कि पूरे भारतवासियों को मिलता है। अभी विगत दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सरयू तट पर दीपोत्सव का कार्यक्रम हुआ था, जिसका पूरे देश में सराहना की गयी है।

इससे पहले राज्यपाल ने डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानन्द प्रेक्षागृह में सुप्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार एवं फैजाबाद जिले के जिलाधिकारी डा। अनिल कुमार पाठक की प्रकाशित पुस्तक पारस-बेला का लोकार्पण करने के बाद सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज मुझे सबसे बड़ खुशी यह है कि साहित्यकार और जिले के जिलाधिकारी दोनों एक साथ हैं।

उन्होंने कहा कि पारस बेला पुस्तक में माँ और पुत्र के बारे में उल्लेख किया गया है जो कि बहुत ही अच्छा है। इस समारोह को सम्बोधित करने के बाद पत्रकारों से पूछे गये प्रश्न पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख मोहन भागवत ने रामजन्मभूमि पर राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं बनेगा के प्रतिक्रिया में राज्यपाल ने कहा कि यह बयान राजनीती से जुड़ हुआ है और व्यक्तिगत भी है इसलिये मैं इस पर कुछ कह नहीं सकता हूँ।

रामायण मेले के समापन पर श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष व रामायण मेला समिति के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, महंत कौशल किशोर दास, समिति के महामंत्री डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति, नरेन्द देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति समेत समिति के सदस्य व प्रशासनिक अधिकारी तथा रामभक्त मौजूद थे।

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