रायपुर : छत्तीसगढ़ में रमन सरकार ने चुनावी वर्ष में किसानों को लेकर बड़ा दांव खेला है। राज्य में किसानों को रिझाने के साथ अन्य वर्गों पर भी सरकार का फोकस नजर आ रहा है। चुनावी बजट में किसानों के साथ मजदूरों की समृद्धि, महिला सशक्तिकरण समेत स्कूली शिक्षा और आदिवासी वर्गों पर फोकस के साथ बड़ी राशि के प्रावधान किए गए हैं।
गांवों के विकास के साथ अधोसंरचना निर्माण और सुशासन पर भी सरकार का जोर है। यही वजह है कि किसानों की आय दोगुनी करने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हुए रमन सरकार ने बजट में प्रावधान किए हैं। केन्द्र सरकार ने जरूर 2022 तक आय दोगुनी करने का रोड मैप तैयार किया है।
इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में रमन सरकार ने चुनावी बजट में इन वर्गों के लिए बड़ी राशि का प्रावधान कर सीधे संकेत दिए हैं। वहीं 29 फीसदी अधिक राशि देकर भी किसानों में संदेश देने की कोशिशें की है। राज्य में आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों को राहत देने के मामले में राज्य का कृषि बजट संजीवनी साबित हो सकता है।
प्रदेश में 37 लाख किसानों के वोटों को निर्णायक माना जाता है। किसानों के रूझान के आधार पर सरकार की दिशा तय होती है। यही वजह है कि किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए सरकार ने उन्हें कर्ज मुक्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यही वजह है कि किसानों को अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए लगभग पौने दो सौ करोड़ से अधिक राशि का प्रावधान किया है।
बजट में किसानों की खेती शुरू करने से लेकर पैदावार और बाद में समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी को लेकर भी व्यवस्था की गई है। सरकार ने इन प्रावधानों और इसके आधार पर की गई व्यवस्था को ही किसानों की समृद्धि का आधार माना है। सरकार की रणनीति सफल रही तो चुनावी नजरिए से भी यह सत्ताधारी दल के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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