बिहार विधान परिषद की कार्यवाही ज्योंहि शुरू हुआ कि मुख्य विपक्षी सदस्य संजय प्रसाद ने राज्य में बिगड़ते कानून व्यवस्था को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया। जिसे उपसभापति हारूण रसीद ने अस्वीकृत कर दिया। जिसको लेकर विपक्ष के सुबोध कुमार सहित दिलीप राय, संजय कुमार, राधाचरण साह एवं कमरे आलम ने सदन के बेल में पहुंचकर सरकार विरोधी नारे लगाने लगे।
इस पर तमनमाये उपसभापति ने सुबोध कुमार को सदन से बाहर जाने का निर्देश दे दिया। उपसभापति के बार बार निर्देश के बाद सुबोध कुमार ने सदन के बाहर चला गया। इससे तमतमाये राजद विधानमंडल दल के नेता श्रीमती राबड़ी देवी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आसन विपक्ष के आवाज को बंद करना चाहती है। विपक्ष का काम सदन में गरीबों पर हो रहे अत्याचार को उठाना है।
सदन में सुबोध कुमार के साथ उपसभापति द्वारा न्याय नहीं किया जा रहा है। राबड़ी देवी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब भाजपा विपक्ष में बैठती थी तो एक दिन भी सदन को चलने नहीं देती थी। लेकिन उस पर आसन कोई कार्रवाई नहीं करती थी। विपक्ष का काम ही है जनता के आवाज को उठाना। आवाज को दबाने वालों के खिलाफ बेल में जाकर नारा लगाती है। सदन की कार्यवाही डंडा के बल पर सभापति नहीं सरकार चला रही है।
इसके बाद सदन से राबड़ी देवी सहित सभी विपक्षी सदस्य बहिष्कार कर सदन से वाक-आउट कर गये और सीधे विधान परिषद पोर्टिको पहुंचकर धरना पर बैठ गये। सदन की कार्यवाही विपक्ष के अनुपस्थिति में चली। सदन की कार्यवाही समाप्त होते ही उपसभापति ने जदयू के विधान पार्षद रेणु देवी, डा. दिलीप चौधरी एवं संजय मयूख को राबड़ी देवी के मनाने के लिए भेजा गया।
जहां पर राबड़ी देवी ने सीधे उपसभापति के चेम्बर में पहुंचकर खरी खोटी सुनायी। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि राज्य में कौन अपराधिक घटनाओं को बढ़ावा दे रही है या कौन दंगा कराकर सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ रहा है। इसे देश की गरीब जनता देख रही है। भाजपा साधु संत बनकर दंगा करवा रही है। यहां की जनता देख रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साम्प्रदायिक ताकतों के गोद में बैठ गये हैं। सदन में विपक्ष द्वारा उठाये गये सवाल को अनदेखी की जाती है। सरकार अपनी मर्जी सेसदन चला रही है तो सदन में विपक्ष को ही क्यों पे्रस को भी निकाल देना चाहिए।
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