पिछले साल नवंबर में म्यामां में अराकान विद्रोहियों और सेना के बीच संघर्ष के बाद मिजोरम के लावंग्तलाई जिले में शरण लेने वाले वहां के 1,400 लोगों ने अपने देश लौटने से इनकार कर दिया है। जिले के पुलिस अधीक्षक लालसंगलुरा ने कहा कि म्यामां सेना द्वारा सीमाई इलाकों में रहने वाले अराकान विद्रोहियों पर की गयी कार्रवाई के चलते पिछले साल 25 नवंबर के बाद से म्यामां से पलायन करने वाले शरणार्थियों ने यह कहते हुए वापस जाने से मना कर दिया कि वे म्यामां के सैन्यकर्मियों से ‘‘डरे’’ हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि म्यामां सेना और अराकान विद्रोहियों के बीच संघर्ष साफ तौर पर रुक गया है और करीब एक महीने से गोलियों की कोई आवाज सुनायी नहीं दी है, मिजोरम-म्यामां सीमा के चार गांवों- लैत्लांग, दमजौतलांग, जोचाछुआ और ह्मावंगबुछुआ – में शरण लेने वाले लोगों ने फिर भी अपने गांव लौटने से मना कर दिया है।’’
ये शरणार्थी मुख्य रूप से म्यामां के चिन राज्य के वारंग, पलेटवा, पकांग्वा और मुलाव जैसे सीमाई गांवों के रहने वाले हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शरणार्थियों को प्रशासनिक सहूलियत के लिए दो गांवों में समूहों में राहत शिविरों में रखा गया है और ऐसा इसलिए भी किया गया है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सब अपने इलाके में शांति बहाल होने के बाद अपने घर लौट सकें।
अधिक जानकारियों के लिए बने रहिये पंजाब केसरी के साथ