रायपुर : छत्तीसगढ़ में चुनावी मिशन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच अब घमासान तेज हो गया है। वहीं सियासी पारा उफान पर आते ही चुनावी रणनीतियां भी तेज हुई है। इस मामले में सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्ष कांग्रेस ने पहले ही मुकाबले को लेकर कमर कसी हुई है। वहीं अब क्षेत्रीय दल भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं।
यही वजह है राष्ट्रीय छवि वाले क्षेत्रीय दलों के नेताओं समेत गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नेताओं को भी छत्तीसगढ़ में बुलाकर माहौल बनाने की तैयारी है। इस मामले में पहले आम आदमी पार्टी की सभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शिरकत कर चुके हैं।
दूसरी तरफ बसपा सुप्रीमों मायावती के भी छत्तीसगढ़ आने की सुगबुगाहट हो रही है। इधर क्षेत्रीय दल छजकां भी आगामी 29 अप्रैल को होने वाले सम्मेलन के लिए ऐसे ही दिग्गजों को बुलाने पर जोर दे रही है। छजकां अध्यक्ष अजीत जोगी ने आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को अपनी पार्टी के सम्मेलन में शामिल होने न्यौता भेजा है।
नायडू के केन्द्र की एनडीए सरकार से नाता तोडऩे के बाद छजकां ने नजदीकियां बढ़ाकर चुनावी फायदा लेने की रणनीति बनाई है। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के अलावा उप्र से मायावती को आमंत्रण दिया गया है।
हालांकि अभी किसी दिग्गज की ओर से सहमति नहीं मिली है। इसके बावजूद माना जा रहा है कि किसी एक नेता के राजधानी आने की स्थिति में ही क्षेत्रीय दल को राजनीतिक तौर पर मजबूती मिल सकती है। नवीन पटनायक, बिहार के सीएम नीतिश कुमार और जद यू अध्यक्ष शरद यादव को भी बुलावा भेजे जाने की तैयारी हो रही है। ऐसी स्थिति में राजनीतिक समीकरण भी दिलचस्प होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा रहा है।
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