बहुचर्चित केस जज बीएच लोया की कथित तौर पर रहस्यमयी मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के विशेष आज अपना फैसला सुनते हुए कहा है। इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में कोई जांच नहीं होगी, केस में कई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है। उनके बयान पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करना जैसा होगा। कोर्ट ने कहा कि मामले के जरिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है की जब जज लोया हाई प्रोफाइल सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे। उनकी 1 दिसंबर 2014 को कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से नागपुर में मौत हो गई थी। वह वहां अपने मित्र की बेटी की शादी में भाग लेने गए थे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 16 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोहराबुद्दीन केस में राजस्थान के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, राजस्थान के व्यवसायी विमल पाटनी, गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख पीसी पांडे, एडीजीपी गीता जौहरी व गुजरात के पुलिस अफसर अभय चूडास्मा व एनके अमीन दोषषमुक्त हो चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोने और कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने स्वतंत्र याचिका दायर कर इस जस्टिस लोया मर्डर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। जस्टिल लोया सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे जिसमें कई पुलिस अधिकारी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी शामिल था। 12 जनवरी को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में जस्टिस मदन बी लोकुर, कुरियन जोसेफ, रंजन गोगोई और जस्टिस चेलमेश्वर ने सीजेआइ दीपक मिश्रा पर कोर्ट के सही संचालन ना करने पर सवाल उठाया था।
उनका आरोप था कि शीर्ष अदालत में कुछ मामलों की सुनवाई के लिए चयनित न्यायिक पीठ का गठन किया गया है। इन चारों जजों के द्वारा लगाए गए। न्यायमूर्ति लोया की मौत चार न्यायाधीशों द्वारा दिए गए कुछ मामलों में से एक है। विशेष सीबीआई अदालत के जज बृज गोपाल हरकिशन लोया की मौत में नागपुर पुलिस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ एक के बाद एक साक्ष्यों का पर्दाफाश करने के बाद एक पत्रिका ने जज लोया के परिजनों के बयान का वीडियो जारी किया है, जिससे जज लोया की रहस्मय मौत पर कई सवाल खड़े होते हैं।
इसमें जज लोया की बहन का कहना है कि सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के पक्ष में फैसला देने के लिए जज लोया को 100 करोड़ रुपये और मुंबई में एक घर देने की पेशकश की गई थी।
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