एससी-एसटी ऐक्ट : हम इसके खिलाफ नहीं लेकिन किसी निर्दोष को सजा न मिले - SC - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

एससी-एसटी ऐक्ट : हम इसके खिलाफ नहीं लेकिन किसी निर्दोष को सजा न मिले – SC

NULL

एससी-एसटी ऐक्ट से जुड़े फैसले की पुनर्विचार याचिका पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर स्टे देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की खुली अदालत में सुनवाई करते हुए कहा है कि एससी-एसटी ऐक्ट के प्रॉविजन से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। दलित आंदोलनों और विपक्ष के हमलावर होने से बैकफुट पर नजर आ रही केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर स्टे की मांग कर रही थी।

आपको बता दे कि एससी-एसटी एक्ट में बदलाव पर देशभर में दलित संगठनों ने गहरी नाराजगी जताई और सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया था। लेकिन ये भारत बंद हिंसक प्रदर्शन में तब्दील हो गए। अभी तक इसमें 13 लोगों की मौत हो चुकी है। मध्य प्रदेश , राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड इस प्रदर्शन से ज्यादा प्रभावित हैं। बंद का असर देश के 12 राज्यों में खास तौर पर देखा गया और सबसे ज्यादा हिंसा उन राज्यों में देखने को मिली,जहां इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इसके लिए दो जजों की एक बेंच नियुक्त की है। जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच रिव्यू पिटिशन की सुनवाई कर रही है। केंद्र ने मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी ऐक्ट पर फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।

बता दे कि SC/ST एक्ट में हुए बदलाव पर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। दो न्यायाधीशों की बेंच मामले की खुली अदालत में सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एक्ट के खिलाफ नहीं हैं लेकिन निर्दोषों को सजा नहीं मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं उन्होंने हमारा जजमेंट पढ़ा भी नहीं है और वह विरोध कर रहे हैं। हमें उन निर्दोष लोगों की चिंता है जो जेलों में बंद हैं। मामले की सुनवाई जारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अकेला ऐसा कानून है कि किसी व्यक्ति को दूसरा कोई कानूनी उपचार नही मिलता। अगर एक बार मामला दर्ज हुआ तो आरोपी गिरफ्तार हो जाता है। इस मामले में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है जबकि दूसरे मामलों में संरक्षण के लिए दूसरे फोरम हैं। अगर कोई दोषी है तो उसे सजा मिलनी चाहिए लेकिन बेगुनाह को सजा न मिले।

दरअसल, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मांग की थी कि इस मामले की तत्काल सुनवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि भारत बंद के दौरान हिंसा में करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। हालात बहुत कठिन बने हुए है, इसलिए मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर 2 बजे सुनवाई का वक्त निर्धारित किया। अटॉर्नी जनरल ने कहा, यह एक आपातकालीन स्थिति है क्योंकि बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है।

बता दें कि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए मामले की जल्द सुनवाई की अपील की थी। सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश संविधान के अनुच्छेद 21 में अनुसूचित जाति, जनजाति को मिले अधिकारों का उल्लंघन करता है।

वहीं,अब यह मुद्दा राजनीति रुप भी ले चुका है। कई राजनीतिक पार्टिया इस एक्ट का विरोध कर रही है तो कई पार्टियों ने इसका समर्थन किया है। यूपी के कैबिनेट मंत्री और भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया है।

आपको बता दें कि दलित संगठनों और कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अनुसूचित जाति/जनजाति की रक्षा के लिए बना यह ऐक्ट कमजोर हो जाएगा। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी ठीक से नहीं की गई। इसके बाद एनडीए के दलित सांसदों ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद सरकार ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को रोकने को लेकर एक गाइडलाइन जारी की थी। ये गाइडलाइन महाराष्ट्र के एक मामले में हुई सुनवाई के बाद जारी की गई थी,जिसके बाद इसे तुरंत लागू कर दिया गया था। फैसले में शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि आरोपों पर तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। आरोपों की पुख्ता जांच करने के बाद केस दर्ज होगा और DSP स्तर के अधिकारी आरोपों की जांच करेंगे। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय से अग्रिम जमानत भी मिल सकेगी। सीनियर अफसर की इजाजत के बाद ही सरकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी होगी।

अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक  करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − fifteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।