भोपाल : मध्यप्रदेश के इंदौर में एक स्कूल बस के हादसे का शिकार होने के मामले को देखते हुए प्रशासन की सख्ती के बाद राजधानी भोपाल में स्कूल बस और वैन संचालक हड़ताल पर चले गए। जिला प्रशासन ने स्कूल वाहनों की जांच के दौरान वाहन चालकों से चरित्र सत्यापन की भी मांग की है।
वाहन चालक इसकी खिलाफत करते हुए आरोप लगा रहे हैं चरित्र सत्यापन के लिए जब वे थाने में जाते हैं तो उनके वाहन जब्त कर थाने में खड़ कर लिए जाते हैं। इसके अलावा चालकों का कहना है कि ये ऑनलाइन व्यवस्था उनकी समझ से बाहर है। हालांकि प्रशासन ने इसके लिए उन्हें सुविधाएं और पर्याप्त समय देने पर भी सहमति जाहिर की है, इसके बाद भी वाहन चालक मानने को तैयार नहीं हैं। मध्यप्रदेश स्कूल वाहन चालक सेवा समिति के अध्यक्ष शिवकुमार सोनी ने कहा कि आज करीब ढाई हजार बसें और साढे सात हजार वैन चालक सड़कों पर नहीं उतरे।
समिति आगे की रणनीति तय कर रही है। शासन अगर हमे बातचीत के लिए बुलाएगा तो हम उनसे बात करेंगे। वहीं एडीएम दिशा नागवंशी ने कहा कि कल की बैठक में स्कूल वाहन संचालकों को स्पष्ट कर दिया गया है कि उनसे तत्काल चरित्र सत्यापन प्रमाणपत्र नहीं चाहिए, इसके लिए उन्हें सात दिन का समय दिया गया है और इसके लिए आरटीओ भी सहयोग कर रहा है। एक अलग विंडो भी खोली गई है, उसके बाद भी वाहन संचालक मानने को तैयार नहीं हैं।
बच्चों की सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर प्रशासन कोई नाजायज मांग नहीं मानेगा और सख्ती से निपटेगा। वाहन संचालकों की हड़ताल के चलते राजधानी के कई बड़ स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है। वहीं बहुत से स्कूलों में अभिभावक स्वयं अपने बच्चों को स्कूल लेकर पहुंचे। इंदौर में दिल्ली पब्लिक स्कूल की एक बस पांच जनवरी को हादसे का शिकार हो गई थी, जिसमें चार बच्चों और वाहन चालक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। इसके बाद से पूरे प्रदेश में स्कूली बसों की जांच की जा रही है।
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