जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने शोपियां जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में तीन लोगों के मारे जाने की घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने की मांग की है। दरअसल, एक काफिले पर पत्थरबाजों ने हमला कर दिया था जिसके बाद सुरक्षाबलों ने यह कार्रवाई की थी।
अबदुल्ला ने यह बात जम्मू कश्मीर विधानसभा में सदस्यों के संबोधन में कहीं। उन्होंने कहा, ‘शोपियां का मसला गंभीर है और मैं इस मामले में उच्च जांच कमेटी की सिफारिश करता हूं।’ उन्होंने महबूबा मुफ्ती सरकार का उस मामले की ओर भी ध्यान दिलाया जिसमें आर्मी के एक जवान ने आम नागरिक को जीप से बांध दिया था। सरकार ने उस व्यक्ति को अब तक मुआवजा देने की कोई पहल नहीं की है। जबकि सेना के उस जवान को अवॉर्ड दिया गया था। ऐसे में उन पर (महबूबा पर) कैसे भरोसा किया जा सकता है कि वह शोपियां मामले में हुई एफआईआर पर तर्क के साथ कदम उठाएंगी।
उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस पहले ही प्राथमिकी दर्ज कर चुकी थी। अब सेना ने एफआईआर की है। हम इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच चाहते हैं। इसके लिए विशेष जांच दल का गठन होना चाहिए शोपिंया (फायरिंग) मामले की निष्पक्ष जांच हो सकें। उन्होंने सदन में सरकार की कार्रवाई पर प्रश्र उठाते हुए कहा कि सरकार पता नहीं क्यों मेडिकल रिपोर्ट पेश नहीं कर रही है, जबकि इसके बिना जांच संभव नहीं है।
वही , इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यवश है कि पूर्व मुख्यमंत्री इस तरह की बातें कर रहे हैं। जो संगठन देश के लिए जान न्यौछावर कर रहा है क्या उसे कानून की मदद लेने का अधिकार नहीं है? वह कह रहे हैं कि काउंटर एफआईआर के लिए सेना को लटका देना चाहिए, लेकिन पत्थरबाजों के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला।’
गौरतलब है कि घाटी में पत्थरबाजी से बचने के लिए स्थानीय युवक को जीप से बांधे जाने के लिए जिस मेजर लीतुल गोगोई को जिम्मेदार समझा गया था, उन्हें आर्मी चीफ ने कमेंडेशन (प्रशस्ति) कार्ड दिया था। उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘उन मेजर को मेडल दिया गया लेकिन डार का क्या हुआ? वह न तो इधर का रहा और न उधर का।’ उमर ने कहा कि अगर वह वाकई पत्थरबाज था तो उसके लिए बेहतर है कम से कम हुर्रियत उसे स्वीकार कर लेगा।
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