रायपुर : रमन के ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटने के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर की अटकलें तेज हो गई है। खबर है कि सरकार आधा दर्जन जिलों के कलेक्टरों को इधर से उधर कर सकती है। 15 जिलों के एसपी समेत 28 आईपीएस अफसरों की नई पोस्टिंग के दौरान ही कलेक्टरों के ट्रांसफर की चर्चा थी। लेकिन इसके बाद सीएम इंवेस्टर्स मीट के सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे।
अब रमन के लौटने के बाद कलेक्टरों की लिस्ट निकलने की चर्चाएं एक बार फिर शुरू हो गई है। कलेक्टरों की सूची एसपी जैसी बड़ी नहीं होगी। क्योंकिए पिछले साल मई में ही एक दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टरों को सरकार ने बदला था। उनका अभी एक साल भी नहीं हुआ है। नए आईएएस भी कलेक्टर बनने के लिए वेट कर रहे हैं।
दीगर राज्यों में 2011 बैच के कलेक्टर बन चुके हैं। छत्तीसगढ़ में अभी 2010 बैच ही पूरा नहीं हुआ है। इस बैच के तीन आईएएस पिछले वर्ष मई में कलेक्टर बन गए थे। इसी तरह 2011 बैच में छह आईएएस हैं। इस लिस्ट में सबको मौका मिलना संभव नहीं है हो सकता है दो को सरकार कलेक्टर बना दें। बाकी चार को अब विधानसभा चुनाव के बाद ही चांस मिले।
फिर राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बनें दो एक अफसरों को सरकार कलेक्टर बनाने की कोशिश करेगी। इसके लिए महादेव कांवड़े और जीतेंद्र शुक्ला प्रमुख दावेदार होंगे। बहरहाल चेंज होने वाले कलेक्टरों में जांजगीर गरियाबंद धमतरी दंतेवाड़ा जशपुर बीजापुर और बलरामपुर का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। इनमें से गरियाबंद को छोड़कर सभी के लगभग डेढ़ साल हो गए हैं।
चुनाव आते आते ढाई पार हो जाएगा। जाहिर हैए चुनाव आयोग के निशाने पर कलेक्टर आएंए इससे पहिले उन्हें सरकार नए जिलों में शिफ्ट कर देना चाहती है। हालांकि 5 फरवरी से बजट सत्र है। लेकिन इससे पहिले कई बार सत्र के दौरान भी सरकार अफसरों को बदल चुकी है। इससे सत्र से कोई फर्क पड़ता नहीं। सरकार इसलिए भी और ज्यादा लंबा नहीं खिचेंगी कि अगस्त में आचार संहिता प्रभावशील हो जाएगी। कलेक्टरों को नए जिलों में जाकर वहां की स्थिति को समझने के लिए कम से कम छह महीने चाहिए।
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