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किसानों की आय दोगुनी करने में शक्कर कारखानों की होगी बड़ी भूमिका

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रायपुर: सहकारिता के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में चार शक्कर कारखानों की स्थापना से राज्य में गन्ने की खेती का रकबा तीन गुने से ज्यादा बढ़ गया है। इतना ही नहीं बल्कि गन्ना बेचने वाले किसानों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राज्य के 52 हजार से ज्यादा किसान शेयरधारक के रूप में इन शक्कर कारखानों के मालिक बन गए हैं। उन्होंने इन कारखानों का संचालन करने के लिए स्वयं की सहकारी समितियों का गठन किया है, जिनमें उनकी अंशपूंजी लगी है।

इस प्रकार कारखाने का मालिकाना अधिकार प्रदेश के गन्ना किसानों के पास है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों की आमदनी अगले पांच वर्ष में (वर्ष 2022 तक) दोगुनी करने के लिए जो बड़ा रोडमैप तैयार किया है, उसमें कृषि आधारित उद्योगों को भी विशेष रूप से प्राथमिकता दी जा रही है।

इस रोडमैप में प्रदेश के शक्कर कारखानों की भी एक बड़ी भूमिका होगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में विगत तेरह वर्ष में सहकारिता के क्षेत्र में तीन नये शक्कर कारखाने क्रमश:-सरगुजा संभाग के ग्राम केरता (जिला-सूरजपुर), दुर्ग संभाग के ग्राम करकाभाट (जिला बालोद) और इस वर्ष जनवरी में कबीरधाम जिले के पंडरिया क्षेत्र ग्राम बिशेसरा में स्थापित किए गए हैं। मुख्यमंत्री के हाथों इस वर्ष 21 जनवरी को लोकार्पित इस नये शक्कर कारखाने का नामकरण भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर किया गया है।

क्षेत्र के लगभग 13 हजार किसान इस कारखाने के संचालन के लिए गठित सहकारी समिति के शेयरधारक सदस्य हैं। इसकी स्थापना से कबीरधाम (कवर्धा) सहित पड़ोस के मुुंगेली और बेमेतरा जिलों को मिलाकर 35 हजार किसानों को यहां अपने गन्ने की फसल बेचकर लाभ अर्जित करने का मौका मिलेगा। सरगुजा संभाग के केरता में मां महामाया और दुर्ग संभाग के करकाभाठ में माई दंतेश्वरी के नाम पर सहकारी शक्कर कारखानों का नामकरण हुआ है।

कबीरधाम जिले में भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने की स्थापना वर्ष 2002-03 में की गई थी। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि प्रदेश में चारों शक्कर कारखानों की स्थापना से किसान गन्ने की खेती में काफी दिलचस्पी लेने लगे हैं। गन्ना उत्पादन में उनका रूझान बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010-11 में राज्य में गन्ने की खेती का रकबा सिर्फ आठ हजार 145 हेक्टेयर था, लेकिन शक्कर कारखानों की स्थापना और उनके सुचारू संचालन से सिर्फ सात वर्ष में यह रकबा बढ़कर 28 हजार 525 हेक्टेयर तक पहुंच गया है।

डॉ. सिंह ने कहा कि गन्ने के रकबे के साथ-साथ इन कारखानों को गन्ना बेचने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है और उनकी आमदनी में भी इजाफा हो रहा है। वर्ष 2010-11 में जहां केवल 7500 किसान इन कारखानों के लिए गन्ना बेच पाते थे, वहीं अब उनकी संख्या बढ़कर 20 हजार 800 तक पहुंच गई है। डॉ. सिंह ने कहा कि गन्ना किसानों को बोनस भी दिया जा रहा है। शक्कर कारखानों में उत्पादन के बाद निकलने वाले गन्ने के अपशिष्टों से बिजली उत्पादन की भी व्यवस्था की गई है।

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