नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक में सुरेश राव जोशी (भैयाजी जोशी) को लगातार चौथी बार सरकार्यवाह चुन लिया गया है। आपको बता दे कि पहले इस पद के लिए तीन नाम सामने आ रहे थे। पहला दत्तात्रेय होसबोले दूसरा सुरेश सोनी और तीसरा डॉक्टर कृष्ण गोपाल। कयास लगाए जा रहे थे कि इन तीनों में से दत्तात्रेय होसबोले सरकार्यवाह बन सकते हैं। लेकिन आखिरी वक्त में भैयाजी जोशी को ही सरकार्यवाह चुना गया। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक दत्तात्रेय नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उनके सरकार्यवाह बनने से संघ में मोदी का दखल बढ़ सकता था। शायद यही वजह रही होगी कि उन्हें सरकार्यवाह नहीं चुना गया।
बता दें कि भैय्याजी जोशी पिछले 9 सालों से आरएसएस के सरकार्यवाह का पद संभाल रहे हैं। साल 2009 में उन्हें पहली बार सरकार्यवाह चुना गया था, जिसके बाद पिछले 2 बार से उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया। इस तरह से भैय्याजी जोशी का सरकार्यवाह के रुप में यह लगातार चौथा कार्यकाल होगा और अब साल 2021 तक वही आरएसएस के सरकार्यवाह बने रहेंगे।
बता दें कि सरकार्यवाह आरएसएस में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। आरएसएस प्रमुख या कहें कि सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह होता है। सरकार्यवाह संघ का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है, जो संघ के संगठन से संबंधित सभी काम देखता है। इसके साथ ही संघ और उसके सहयोगियों के साथ संबंध भी सरकार्यवाह की ही जिम्मेदारी होते हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी सरसंघचालक चुने जाने से पहले सरकार्यवाह का पद संभाल चुके हैं। उस वक्त केएस सुदर्शन सरसंघचालक थे।
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