संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के जबरदस्त हमले के बाद जवाब देने के लिए झूठ का सहारा लिया। सुषमा की स्पीच के बाद राइट टु रिप्लाई के तहत पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने भारत पर हमला बोला। उन्होंने कश्मीर में कथित ज्यादतियों का दावा करते हुए एक तस्वीर दिखाई, जिसका भारत से दूर-दूर तक कोई लेनादेना नहीं है।
आपको बता दी कि पाकिस्तान ने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ खतरनाक गतिरोध की स्थिति पैदा नहीं होने देना चाहता है तो उसे नयी दिल्ली का आहववान करना चाहिए कि वह अपनी उकसाने वाली और आक्रामक कार्वाइयां रोके।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने भारत को दक्षिण एशिया में आतंकवाद की जननी करार देते हुए आरोप लगाया कि पाकिस्तान के कई हिस्सों में नयी दिल्ली आतंकवाद का प्रायोजन कर रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में संबोधन के बाद जवाब देते हुए मलीहा ने आरोप लगाया, अपने व्यंज्ञात्मक संबोधन में उन्होंने (सुषमा) कश्मीर के मुख्य मुद्दे का नजरअंदाज किया।
सुषमा ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों को पैदा करने के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा था। विदेश मंत्री ने कश्मीर का उल्लेख नहीं किया था।
मलीहा ने कहा, अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत और पाकिस्तान के बीच खतरनाक गतिरोध को टालना चाहता है तो उसे भारत का आहवान करना चाहिए कि वह उकसाने वाली और आक्रामक कार्वाइयों को रोके। उसे नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन बंद करना चाहिए। उसे पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी समूहों को प्रायोजित करना बंद करना चाहिए।
आमतौर पर महासभा में संबोधन का जवाब विदेश सेवा के निचले स्तर के अधिकारी देते हैं, लेकिन यह काफी अहम है कि पाकिस्तान की शीर्ष राजनयिक ने भारत के खिलाफ जवाब दिया।
भारत ने फिलहाल जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। पाकिस्तान ने दूसरी बार यह आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बलूचिस्तान में दखल दे रहे हैं। मलीहा ने कहा कि अगर संबंधित पक्ष विवाद का समाधान करने में विफल होते हैं तो संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास न सिर्फ इसका अधिकार है, बल्कि उसकी प्रतिबद्धता है कि वह दखल दे और विवाद के समाधान में मदद करे।
उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की मियाद खत्म नहीं होती है। कानून की खत्म होने वाली मियाद नहीं होती है। नैतिकता के बिकने की कोई अंतिम तारीख नहीं होती। भारत सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करने की अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता।
आतंकवाद के संदर्भ में सुषमा की टिप्पणियों और इसे परिभाषित करने पर जोर दिए जाने का हवाला देते हुए मलीहा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को आतंकवाद को परिभाषित करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया, आतंकवाद की परिभाषा में हमें सरकार प्रायोजित आतंकवाद को भी शामिल करना चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जिस सरकार प्रायोजित आतंकवाद की डींगें हांकते हैं उसे भारत की खुफिया एजेंसियां पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में प्रायोजित कर रही हैं और इसे वह दोहरे दबाव की रणनीति बताते हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा पाखंड है और यह फासीवादी विचारधारा द्वारा प्रशासित है। मलीहा ने आरोप लगाया कि सुषमा ने अपने संबोधन में पाकिस्तान के कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के सभी मुद्दों खासकर जम्मू-कश्मीर के समाधान के लिए भारत के साथ समग, वार्ता बहाल करने तथा शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने के कदमों पर चर्चा करने को तैयार है।
पाकिस्तानी राजदूत ने कहा, परंतु बातचीत भारत की ओर से पाकिस्तान में विध्वंसक गतिविधियों के अभियान और सरकार प्रायोजित आतंकवाद को खत्म करने के साथ होनी चाहिए। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की ओर से शांति और मित्रता की बुनियाद पर विदेश नीति तामीर किए जाने के शाहिद खाकान अब्बासी के दावे पर सुषमा ने कहा कि वह नहीं जानतीं कि जिन्ना ने किन सिद्धांतों की पैरवी की थीं, लेकिन इतना जरूर कह सकती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने पदभार संभालने के बाद शांति और दोस्ती का हाथ बढ़ाया।
उन्होंने कहा, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को यह जवाब देना चाहिए कि आपके देश ने इस प्रस्ताव को क्यों ठुकराया। सुषमा ने अब्बासी को याद दिलाया कि नौ दिसंबर, 2015 को हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के लिए जब वह इस्लामाबाद पहुंची थीं तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने फैसला किया था कि भारत और पाकिस्तान बातचीत बहाल करनी चाहिए और इसे समग, द्विपक्षीय वार्ता नाम दिया।