जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बागी राज्यसभा सांसद शरद यादव ने कहा कि दलित- महादलित, पिछड़ा तथा अति पिछड़ा को वोट की राजनीति के लिए बांटा गया है और इन सभी वर्गों को जाति बंधन से ऊपर उठकर जमात के रूप में आगे आना होगा। श्री यादव ने यहां आम जनता पार्टी (राष्ट्रीय) की ओर से आयोजित अति पिछाड़ा स्वाभिमान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में वंचित समाज की आबादी 80 प्रतिशत है और इन वर्गों की एकता के बगैर देश का विकास संभव नहीं है।
आरक्षण तो इन वर्गों को जरूर मिला लेकिन इंसाफ करने की नियत नहीं होने के कारण लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि पिछड़ा जाति के कुछ लोगों को अति पिछड़ा वर्ग की सूची में डाल दिया गया है जो पिछड़ा वर्ग में भी संपन्न हैं।राज्यसभा सांसद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिये बगैर कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर उनकी मंशा साफ नहीं रही है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर इशारा करते हुए कहा कि श्री कुमार ऐसे लोगों की संगत में चले गये हैं जो आरक्षण के खिलाफ रहे हैं।
वंचित समाज का साथ छोड़कर श्री कुमार अब ऐसे लोगों की गोद में खेल रहे हैं जो इन वर्गों का हित चाहता ही नहीं है। यादव ने कहा कि वंचित समाज के कल्याण के लिए पेरियार, नारायण स्वामी, महात्मा फुले, भीम राव अम्बेडकर, राम मनोहर लोहिया, जननायक कर्पूरी ठाकुर, समाजवादी नेता मधु लिमये तथा अन्य ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कहा कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने लिए वह कई बार मुख्यमंत्री श्री कुमार के साथ राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पास भी गये थे।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि बिहार के लोगों ने महागठबंधन की सरकार को पांच वर्ष के लिए जनादेश दिया था। जिस समय गठबंधन बनाने का प्रयास किया जा रहा था उस समय भी राजद अध्यक्ष के खिलाफ मामला चल रहा था लेकिन सरकार बनने के बाद शुचिता बदल गयी। उन्होंने राजद अध्यक्ष के पुत्र और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव का नाम लिये बगैर कहा कि राजनेताओं के खिलाफ मामले तो बहुत दर्ज होते रहते हैं।
श्री यादव ने कहा कि डीएनए के मुद्दे पर बिहार के लोगों ने अपना नाखून और बाल तक दिल्ली भेजा था और उस समय श्री कुमार ने कहा कि था कि वह किसी भी कीमत पर भाजपा में जाने वाले नहीं हैं। देश के समक्ष नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से लोगों की बढ़ी मुश्किलें, विधि-व्यवस्था, भ्रष्टाचार तथा रोजगार जैसे ज्वलंत मुद्दे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात में कहते फिर रहे हैं कि गुजरात के बेटे को गाली दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी तो गुजरात के बेटे थे लेकिन श्री मोदी आलोचना को भी गाली कहने में नहीं हिचकते हैं। सांसद ने कहा कि बिहार के चार लाख 25 हजार नियोजित शिक्षकों को पटना उच्च न्यायालय ने समान काम के लिए समान वेतन देने का निर्देश दिया था लेकिन राज्य सरकार ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है। यदि ऐसे शिक्षकों को समान वेतन दिया गया होता तो इससे 21 लाख लोगों की जिंदगी बेहतर हो सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण ही आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी परेशानी हो रही है। और वह सड़क पर आंदोलन के लिए उतरी हैं।
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