देश की सर्वोच्च अदालत की प्रशासनिक गतिविधियों को लेकर उपजे विवाद और सवाल के बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा से मिलने का समय मांगा है। आपको बता दे कि चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोलने सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठम जजों को चार पूर्व जजों का समर्थन मिला है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत, दिल्ली हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए पी शाह, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के चन्द्रु और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एच सुरेश ने भारत के प्रधान न्यायाधीश को खुला पत्र लिखा है।
इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के चार नाराज़ न्यायाधीशों की ओर से उठाए गए मुद्दों का समर्थन करते हुए कहा गया है कि बेंच बनाने और सुनवाई के लिए मुक़दमों का बंटवारा करने के मुख्य न्यायाधीश के विशेषाधिकार को और ज़्यादा पारदर्शी और नियमित करने की ज़रूरत है।
चार मौजूदा जजों के आरोपों का समर्थन करते हुए खुलापत्र लिखने वाले पूर्व जजों का कहना है कि हाल के महीनों में मुख्य न्यायाधीश अहम मुकदमे वरिष्ठ जजों की बेंच को भेजने की बजाय अपने चहेते कनिष्ठ जजों को भेजते रहे हैं। बेंच बनाने, खासकर संविधान पीठ का गठन करने में भी वरिष्ठ जजों की उपेक्षा की जाती रही है। लिहाज़ा मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले में पहल करें और भविष्य के लिए समुचित और पुख्ता न्यायिक व प्रशासनिक उपाय करें।
पत्र पर जस्टिस पीबी सावंत के अलावा दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एपी शाह, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस के चन्द्रू और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एच सुरेश शामिल हैं। इसके अलावा पिछले कुछ समय से यह भी देखने को मिला है कि संविधान पीठों में इन चार वरिष्ठ जजों को जगह नहीं दी जा रही है। इन वरिष्ठ जजों की लगातार उपेक्षा की जाती रही है। पूर्व जजों ने कहा है कि चीफ जस्टिस खुद इस मामले में पहल करें और भविष्य के लिए समुचित और पुख्ता न्यायिक व प्रशासनिक उपाय करें।
पत्र में इन चार जजों ने कहा है कि यह सही है कि चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं लेकिन उन्हें मनमाने तरीके से मामलों का आवंटन करने की ऑथोरिटी नहीं है। उनका कहना है कि जब तक मामलों के आवंटन को लेकर कोई नियम नहीं बन जाता तब तक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों की सुनवाई टॉप पांच जजों को ही करनी चाहिए।
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