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मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव , एकजुट हुआ विपक्ष

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पहले वाईएसआर कांग्रेस और फिर टीडीपी की तरफ से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव ने देश के राजनीतिक पारे को चढ़ा दिया है। इस बीच लोकसभा की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित हो गई है।

आपको बता दे कि कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने इस प्रस्ताव पर समर्थन का ऐलान किया है। वाईएसआर कांग्रेस ने जहां आज ही अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है, वहीं टीडीपी सोमवार को प्रस्ताव लाएगी। आज ही टीडीपी ने एनडीए से भी अलग होने का फैसला लिया है। इससे पहले टीडीपी सरकार से ही अलग हुई थी एनडीए से नहीं।

बता दे कि कांग्रेस ने टीडीपी-वाईएसआर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन का ऐलान किया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम शुरू से ही आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग का समर्थन करते आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि आंध्र की जनता को न्याय मिले। जब अविश्वास प्रस्ताव आता है तो सरकार की नाकामी पर बात करने का मौका मिलता है। हम कई लोगों से संपर्क में हैं।

वहीं, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सीपीएम बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। ये आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के वादे के साथ दगाबाजी है। ये पूरी तरह से नाकामी है और संसदीय जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की बात लोगों को बताना जरूरी है।

आपको बता दे कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी प्रस्‍ताव का समर्थन करने की बात कही है।

जानिए , क्या है अविश्वास प्रस्ताव
अविश्वास का प्रस्ताव एक संसदीय प्रस्ताव है, जिसे विपक्ष द्वारा संसद में केंद्र सरकार को गिराने या कमजोर करने के लिए रखा जाता है। यह प्रस्ताव संसदीय मतदान (अविश्वास का मतदान) द्वारा पारित या अस्वीकार किया जाता है।

इतने सांसदों की संख्या चाहिए अविश्वास प्रस्ताव के लिए
सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव तभी लाया जा सकता है। जब इसे सदन में करीब 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त हो। मौजूदा स्थिति में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एकजुट हुए सांसदों की संख्या 117 है। ऐसे में सदन में इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए पर्याप्त बहुमत है।

जानिए , प्रस्ताव स्वीकार करने पर क्या होगा
अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष को स्वीकार करना होगा। यदि स्पीकर की ओर से इसे मंजूरी मिल जाती है तो 10 दिनों के अंदर इस पर सदन में चर्चा करनी होगी। चर्चा के बाद लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है।

क्या सरकार गिरेगी
केंद्र सरकार को गिराना विपक्ष के लिए मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार गिराने के लिए उन्हें कुल 269 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। लेकिन सदन में अकेले बीजेपी के पास ही बहुमत की 269 सीटों से भी ज्यादा सीटें मौजूद हैं।

सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव
संसद में सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव अगस्त 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ पेश किया गया था। लेकिन विपक्ष सरकार गिराने में नाकाम हो गया था। इसके बाद से अब तक सदन में 26 से ज्यादा बार अविश्वास प्रस्ताव रखे जा चुके हैं। 1978 में विपक्ष द्वारा रखे गए अविश्वास प्रस्ताव ने मोरारजी देसाई सरकार को गिरा दिया था।

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