त्रिपुरा में वाम गढ़ को ध्वस्त करने के बाद और नगालैंड तथा मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा होने की संभावना के साथ ही भाजपा भारत के 31 राज्यों में से 21 राज्यों की सरकारों की अगुवाई करने या उनमें भागीदारी करने के लिए तैयार है। इससे राष्ट्रीय राजनीति के नक्शे पर भगवा प्रभाव साफ नजर आता है। अब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस केवल चार राज्यों में ही सत्ता पर है जिनमें मिजोरम और पुडुचेरी जैसे राज्य शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कल अपने अगले लक्ष्य के तौर पर कर्नाटक को चुना। कर्नाटक कांग्रेस शासित एकमात्र राज्य है जहां से लोकसभा में 20 या उससे अधिक सांसद जाते हैं।
मोदी ने कहा है कि विपक्षी दल अप्रैल-मई में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के बाद राज्य की सत्ता में नहीं होगा। बीते चार साल में मोदी तथा शाह की अगुवाई में भाजपा का उत्तरोत्तर विकास हुआ है। मई 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से उन राज्यों की संख्या सात से बढ़ कर 21 हो गई है जहां भाजपा की सरकार है। त्रिपुरा में भाजपा के विधायकों द्वारा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भाजपा के मुख्यमंत्रियों की संख्या बढ़ कर 17 हो जाएगी।
जिन राज्यों में भाजपा सत्ता में है, या जहां वह गठबंधन में शामिल है उन राज्यों में जम्मू कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, बिहार, गोवा और महाराष्ट्र शामिल हैं। अगले लोकसभा चुनाव में अधिक समय नहीं बचा है। ऐसे में भाजपा नेता तीन पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन के महत्व को रेखांकित कर हैं। शाह का दावा है कि यह न केवल कर्नाटक विधानसभा चुनाव बल्कि अगले संसदीय चुनावों के अनुमानित फैसले का संकेत है।
त्रिपुरा में भाजपा का अप्रत्याशित प्रदर्शन वहां पहली बार उसकी सरकार बना सकता है। नगालैंड में पहली बार पार्टी ने 12 सीटें जाती हैं। यह ऐसे समय पर हुआ है जब विपक्षी दल बैंक घोटालों और कृषि संकट सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर सत्ताधारी दल को घेरने के लिए प्रयासरत हैं।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि गुजरात में सत्ताधारी दल को कड़ी टक्कर देने और हाल ही में उप चुनावों में मिली जीत के बाद कांग्रेस को मिली ऊर्जा अब खत्म हो जाएगी तथा कैडरों और जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि मोदी और उनकी पार्टी के लिए लोगों का समर्थन जारी है।
शाह ने कल कहा कि गुजरात, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा में हुए विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को करीब 50 फीसदी वोट मिले जो उसकी लोकप्रियता को रेखांकित करते हैं।
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