कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कहा कि देश के सेकुलर और उदारवादी मूल्यों के लिए खतरा पैदा हो गया है तथा ऐसे में हमें एक ऐसे भारत के लिए लडऩा है जहां मानवीय स्वतंत्रता और न्यायसंगत व्यवस्था कायम रहे तथा हम इसकी लड़ाई लड़ेंगे ।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आज लोकसभा में विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए सोनिया ने कहा कि ऐसा लगता है कि देश पर संकीर्ण मानसिकता वाली, विभाजनकारी और सांप्रदायिक सोच वाली शक्तियां हावी हो रही हैं।…सेकुलर और उदारवादी मूल्यों के लिए खतरा पैदा हो गया है। कई बार कानून के राज पर गैर कानूनी शक्तियां हावी होती हैं।
सोनिया ने कहा कि सवाल उठ रहे हैं कि क्या अंधकार की ताकतें फिर सिर उठा रही हैं, क्या लोकतंत्र को खत्म करने के प्रयास हो रहे हैं?
उन्होंने कहा कि हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है। हमें एक ऐसे भारत के लिए लडऩा है जिसमें इंसानी आजादी, स्वेच्छा और न्यायसंगत व्यवस्था हो। हम इसकी लड़ाई लड़ेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि महात्मा गांधी ने न्यायसंगत और मानवीय स्वतंत्रता वाली व्यवस्था की बात की थी। हमें इन्हीं मूल्यों के साथ आगे बढऩा है।
उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में जवाहर लाल नेहरू सबसे लंबे समय तक जेल में रहे और कई कार्यकर्ता तो बीमारी की वजह से जेल से जिंदा बाहर नहीं आ सके। उन्होंने यह भी कहा कि उस समय के कुछ तत्वों ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था और ऐसे तत्वों का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 75 साल पहले आज ही के दिन भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था और उसी की याद ताजा करने के लिए हम यहां आज खड़े हैं । इस सदन में मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं के बलिदान को याद कर रही हूं । 1942 के आंदोलन
की शुरूआत महात्मा गांधी के आहवान पर हुई थी । पूरे देश ने इसे पूरे संकल्प के साथ स्वीकार किया और इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजी हुकूमत को देश छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा ।