पटना : भाजपा की ओर से आयोजित बाबू वीरकुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1857 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी जिसमें हिन्दू-मुस्लमान एक साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़े। अगर 1857 नहीं होता तो 1947 भी नहीं होता।
कुछ लोग बाबू वीर कुंवर सिंह को धोखा नहीं दिए होते और देश के बहुत सारे जमींदारों ने उनका विरोध नहीं किया होता तो आजादी की तस्वीर कुछ और होती। तब हमारे देश के लोगों के बीच एकता और अंग्रेजों के मुकाबले आधुनिक हथियार नहीं थे। अंग्रेज बंदूक से तो वीर कुंवर सिंह तलवार से लड़ रहे थे।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने परमाणु बम का विस्फोट कर तथा नरेन्द्र मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पूरी दुनिया को आज देश की ताकत का अहसास करा दिया है। अब कोई हमारी सीमा पर टेढ़ी नजर से देखने की हिम्मत नहीं कर सकता है।
उन्होंने अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दो शेर-‘ गाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की, तख्त-ए-लंदन तक चलेगी तेग हिन्दुस्तान की ’ तथा ’दमदमे में दम नहीं अब खैर मांगों जान की, ए जफर, ठंडी हुई शमशीर हिन्दुस्तान की’ के माध्यम से 1857 में आम भारतीयों की भावना को दर्शया।
श्री मोदी ने कहा कि अगर कुछ मीर जाफर नहीं होते, लोगों में एकता होती तो देश को आजादी 90 साल में नहीं 30-40 साल में मिल जाती। उन्होंने कहा कि तब हमारे पास आधुनिक हथियार नहीं थे। बाबू कुंवर सिंह तलवार से लड़ रहे थे और अंग्रेजों के पास बंदूकें थीं। हमारी तलवार अंग्रेजों के तोप का मुकाबला नहीं कर पायी।
अगर बाबू कुंवर सिंह के पास आधुनिक हथियार होते तो आजादी की पहली लड़ाई का स्वरूप दूसरा होता। आज दुनिया से मुकाबला करना है तो हमें आधुनिक हथियार चाहिए। आजादी के 70 वें साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजनाथ सिंह जैसे गृहमंत्री के रहते कोई हमारी सीमा पर टेढ़ी नजर से देख नहीं सकता है। आज हिन्दू-मुसलमान, बैकवार्ड-फाॅरवार्ड सभी को मिलकर विदेशी ताकतों से लड़ने की जरूरत है। इसी लिए देश का नारा है, सबका साथ, सबका विकास।
24X7 नई खबरों से अवगत रहने के लिए क्लिक करे।