नोटबंदी लागू करते वक़्त 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री ने 500 और 1,000 नोटों को अवैध घोषित करते हुए कहा कि यह फेक करेंसी (FICN) के खिलाफ एक बड़ा कदम है, जबकि वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसी फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) का कहना है कि वित्तीय संस्थानों में साल 2016-17 में जाली नोट पाए जाने के मामले भी अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों को बैंकिंग इतिहास में अब तक के सबसे ज्यादा नकली नोट मिले हैं। इसके साथ ही बैंकों ने पाया कि नोटबंदी के बाद से संदिग्ध लेनदेन के मामलों में 480 फीसदी का उछाल आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंक, प्राइवेट बैंक और कोऑपरेटिव बैंक और दूसरे वित्तीय संगठनों को संदिग्ध लेनदेन के 400 फीसदी ज्यादा मामले मिले हैं. 2016-17 के दौरान कुल 4.73 लाख ऐसे मामले मिले हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, STR और CCR के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए FIU ने भी सख्त कदम उठाते हुए साल 2016-17 में 56 हजार STR के मामले विभिन्न एजेंसियों इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई, डीआरआई को सौंपे जिनकी संख्या पिछले साल 53 हजार थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद हुए संदिग्ध लेनदेनों को आने वाले साल में देखा जाएगा, इससे पता चलेगा कि इसमें काले धन का हिस्सा कितना है। संदिग्ध कैश डिपॉजिट की पहचान के लिए बैंकों से 30 तरह की नई रिपोर्ट देने को भी कहा गया है ताकि ऐसे मामले पकड़े जा सकें।
आपको बता दें कि देश में नोटबंदी के बाद से नकली नोटों के लेनदेन के मामलों में इजाफा देखने को मिला है. साल 2015-16 में ऐसे 4.10 लाख मामले सामने आए थे जबकि वर्ष 2016-17 में 7.33 लाख मामले सामने आए हैं। इसे काउंटरफीट करेंसी रिपोर्ट यानि कि सीसीआर कहा जाता है। सीसीआर की व्यवस्था को पहली बार वर्ष 2008-09 में पेश किया गया था। ये आंकड़ा तब से अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा हैं।
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