रायपुर : छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन की खरीदी बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। वहीं रमन सरकार इस मुद्दे पर घिर गई है। विपक्ष ने राष्ट्रपति, और राज्यपाल के समक्ष विरोध जताने के बाद अब सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया है। वहीं सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में आदिवासी प्रतिनिधियों ने चर्चा से साफ इंकार कर दिया है।
वहीं दो टूक ऐलान कर दिया कि अब बातचीत केवल मुख्यमंत्री से ही करेंगे। दो टूक चर्चा में संशोधन विधेयक निरस्त करने की शर्त पर ही बात होगी। आदिवासियों के कड़े रूख के बाद सरकार की ओर से भी डैमेज कंट्रोल की कोशिशें हो रही है। दरअसल, सरकार ने दावा किया है कि इस मामले में किसी भी आदिवासी की जमीन नहीं बेची जाएगी।
केवल सरकारी प्रायोजन से ही इस मामले में जमीन खरीदी जाएगी। हालांकि आदिवासी संगठनों के नेताओं ने इसे केवल छलावा करार दिया है। वहीं आरोप जड़े हैं कि सरकार गुपचुप ढंग से आदिवासियों की जमीन लेकर इसे उद्योगपतियों के हाथों में सौंपने की तैयारी में है। यही वजह है कि इस बार सरकार को चौतरफा विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं दूसरी ओर नए सिरे से कवायदों के बीच सरकार की रणनीति भी फैल्योर ही नजर आ रही है। आदिवासी सरकार के किसी भी आश्वासन को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इधर विपक्ष ने इस मामले को दिल्ली तक गरमाने का मन बनाया है। यही वजह है कि सरकार अब सुरक्षात्मक मुद्रा में नजर आ रही है।
विपख ने राज्यपाल से इस संशोधन विधेयक को मंजूरी नहीं देने की गुहार लगाई है। सूत्रों की मानें तो इस मुद्दे पर सत्ताधारी दल में ही अंदरूनी तौर पर विरोध शुरू हो चुका है। सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों ने अपने नेताओं से दो टूक कह दिया है कि इस निर्णय से चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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