योगी सरकार ने तीन तलाक की शिकार महिला को नवगठित उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। प्रदेश सरकार द्वारा गठित पैनल के आठ सदस्यों में चौबीस वर्षीय वाणिज्य स्नातक सोफिया अहमद शामिल हैं. सोफिया तीन तलाक की शिकार हैं। बता दे कि सोफिया अहमद ने आज अपनी जिम्मेदारी भी संभाल ली। इसी बहाने बीजेपी तीन तलाक के एजेंडे को आगे बढ़ाने की जुगत में है।
समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक की भाभी सोफिया डेढ़ साल पहले बीजेपी में शामिल हुई थी। चेन्नई की रहने वाली सोफिया अहमद की शादी 12 जनवरी 2005 को कानपुर के शारिक अराफात से हुई थी। आपको बता दे कि आयोग के अन्य सदस्य रूमाना सिद्दीकी, सैयद इकबाल हैदर, सुरेश जैन रितुराज, सुखदर्शन बेदी, मनोज कुमार मसीह, अफजल चौधरी और मोहम्मद आलम हैं। तलाक के बाद से ही सोफिया तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं।
वही , नई जिम्मेदारी का तोहफा मिलने के बाद कानपुर की सोफिया अहमद ने कहा कि एकबारगी तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। क्योंकि उन्होंने न तो इस पद के लिए कभी आवेदन किया था और न ही भाजपा के किसी बड़े नेता ने इस बारे में उनसे कोई चर्चा ही की। खुद को अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाये जाने पर सोफिया अहमद ने उत्तर प्रदेश सरकार का आभार प्रकट करते हुये धन्यवाद दिया है।
सोफिया ने कहा कि मैं इस्लाम के नहीं, बल्कि इसके मिस यूज के खिलाफ हूं। मुझे रात में तीन बजे ही एक बच्चे के साथ घर से निकाल दिया गया। ऐसा ही देश में लाखों महिलाओं के साथ हो रहा है, जिसे रोकने की जरूरत है।
सोफिया का आरोप है कि अगस्त 2016 में नशे में धुत होकर पति ने तीन तलाक बोलकर उन्हें घर से निकाल दिया था। इस मामले में सोफिया ने पुलिस में भी शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। वर्ष 2017 में खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक के फैसले पर रोक लगाने के बाद 23 अगस्त 2017 को सोफिया की तहरीर पर पूर्व विधायक, उनके भाई और अन्य रिश्तेदारों पर उत्पीड़न व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
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