यरुशलम के दर्जे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक बड़ा कदम उठाया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को प्रस्ताव पास कर अमेरिका से यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के फैसले को वापस लेने को कहा। तुर्की और यमन की ओर से पेश इस प्रस्ताव का भारत समेत 128 देशों ने समर्थन किया। , जबकि सिर्फ 9 देशों ने ही प्रस्ताव के विरोध में वोट दिया और 35 देश अनुपस्थित रहे।
वही , वोटिंग के बाद अमेरिकी अंबेसडर निक्की हेली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इसे हमेशा याद रखेगा। हमें यूएन में दुनिया का सबसे बड़ा योगदान देने के लिए बुलाया जाता है। हम इसे याद रखेंगे कि कुछ देशों ने अपने फायदे के लिए हमारे प्रभाव का प्रयोग किया है।
उन्होंने इसे ‘अनादर’ बताते हुए कहा कि अमेरिकी दूतावास येरुशलम वैसे ही जाएगा। उन्होंने कहा कि ये वोट अंतर पैदा करते हैं कि अमेरिकियों ने यूनाइटेड नेशन को कैसे देखा और हमारा अनादर करने वाले देश हमें कैसे देखते हैं. ये वोट याद रखा जाएगा।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में सदस्य देशों ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया है। जिसमें अमेरिका की ओर से येरुशलम को इज़रायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने को अस्वीकार्य किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि येरुशलम संबंधी किसी भी स्टेटस को अमान्य समझा जाए।
भले ही वैश्विक मंच पर इस मसले को लेकर अमेरिका अलग-थलग पड़ गया, मगर उसके पश्चिमी और अरब देशों के सहयोगी देशों ने उसके पक्ष में मतदान कर अमेरिका को अकेला पड़ने से बचा लिया। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय प्रभावशाली संस्था की आपात बैठक में केवल अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने ही यरुशलम पर ट्रंप के फैसले का समर्थन किया था।
अमेरिका ने इसी महीने की शुरुआत में अपनी घोषणा में कहा था कि वह यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देंगे और अमेरिकी दूतावास को यरूशलम में स्थांतरित करेंगे। उनकी घोषणा के बाद लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और इसकी आलोचना भी की जा रही है।
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