राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने पॉलीथीन के कारण गायों की मौतों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पॉलीथीन का उपयोग नहीं कर भी गौ भक्ति का सच्चा सबूत दिया जा सकता है।
वसुन्धरा राजे आज भरतपुर जिले के डीग स्थित जड़खौर गौधाम में आयोजित सुमेरू महामहोत्सव में बोल रही थीं। उन्होंने गौवंश की रक्षा के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए प्रदेश में पॉलीथीन के उपयोग पर लगे प्रतिबंध की अनुपालना होनी चाहिए। आम लोगों का अपने विवेक से घरों और बाजारों में पॉलीथीन प्रतिबंध सुनिश्चित करना गौभक्ति है।
उन्होंने कहा कि गौवंश की देखभाल और संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के साथ आम लोगों की भागीदारी आवश्यक है। देश में पहली बार गौ-पालन के लिए राजस्थान में नया मंत्रालय बनाया गया है तथा विभिन्न गौशालाओं में आधारभूत सुविधाओं के लिए पचास करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। गौशालाओं में गौवंश की टैगिंग की गई है। छोटी और बीमार गायों तथा नंदी के लिए अलग-अलग सुविधाएं विकसित की जा रही हैं तथा सभी गौशालाओं के लिए अनुदान की समय-सीमा तीन महीने से बढ़कर छह महीने कर दी गई है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर विभिन्न संसाधनों के माध्यम से इस सीमा को और बढ़या जा सकता है।
उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं और महापुरूषों के जीवन और उनके इतिहास के बारे में नई पीढ़ को रूबरू कराने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने राजस्थान के लगभग हर जिले में पैनोरमा स्थापित किए हैं। चार वर्षों में मंदिरों के जीर्णोद्धार और विकास के लिए 550 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। पश्चिमी राजस्थान के गोगामेड़ से लेकर पूर्व में ब्रज चौरासी तक धर्मस्थलों और मंदिरों पर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का विकास किया है। उन्होंने खाटूश्याम मंदिर, श्रीनाथद्धारा, पीपाजी महाराज मंदिरों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार यहां सुविधाओं के विकास पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने के लिए संतों का आशीर्वाद जरूरी है।
श्रीमती राजे ने कहा कि भरतपुर के लक्ष्मी नारायण मंदिर, बिहारी मंदिर, गंगा मंदिर एवं विमल कुंड के विकास के लिए आठ करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जाएंगे। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा तथा सप्तकोसी परिक्रमा मार्गों पर भी श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि केवल भरतपुर जिले में राज्य सरकार ने लगभग छह हजार 600 करोड़ रुपए बीते चार वर्ष में खर्च किए गये हैं।
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