श्रीनगर : श्रीनगर में अलकनंदा का पानी पांच किलोमीटर के दायरे मनुष्य छोड़ दीजिए, जानवरों के भी पीने लायक नहीं है। ‘डिस्ट्रिक वाटर क्वालिटी टेस्टिंग एंड मॉनिटरिंग लैबोरेट्री’ कर रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। जांच में अलकनंदा के पानी में घातक बैक्टीरिया पाए हैं। ‘डिस्ट्रिक वॉटर क्वालिटी टेस्टिंग एंड मॉनिटरिंग लैबोरेट्री’ ने श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के बांध क्षेत्र से लेकर परियोजना के पावर हाउस तक अलग-अलग स्थानों से 29 मार्च को पानी के सेंपल लिए थे। जांच में परियोजना के पॉवर हाउस से पहले पानी में ई-कोलाई बैक्टिरिया की मात्रा प्रति सौ मिली. में 10299 पाई गई है।
जबकि एमपीएन कोलिफार्म 2419 मापी गई। श्रीनगर जल संस्थान के पंप हाउस के समीप ई-कोलाई प्रति सौ मिली. में 69 तथा एमपीएन कोलिफार्म प्रति सौ मिली. में 579 मिला। डिस्ट्रिक वॉटर क्वालिटी टेस्टिंग एंड मॉनिटरिंग लैबोरेट्री जल संस्थान श्रीनगर के कैमिस्ट हरेंद्र भंडारी ने बताया कि लैब में पानी के सैंपल में ई-कोलाई बैक्टीरिया और एमपीएन कोलीफार्म बड़ी तादाद में मिला है। फिल्टर व क्लोरीनेशन से इनको समाप्त कर घरों में पानी की आपूर्ति की जा रही है। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के बांध स्वीत श्रीकोट से लेकर श्रीनगर तक करीब एक दर्जन गंदे नाले अलकनंदा नदी में मिल रहे हैं।
इन नालों से शहर के सीवर लाइनों का पानी सहित तमाम गंदगी सीधे नदी में मिल रही है। जिससे शहर के घाटों व पंप हाउसों के समीप अलकनंदा की तस्वीर देखने लायक नहीं है। नमामि गंगे के तहत इन नालों को टेप कर एसटीपी तक पहुंचाने का कार्य भी अधूरा पड़ा हुआ है। श्रीनगर में पांच किमी. के दायरे में बह रही अलकनंदा पूरी तरह से दूषित हो चुकी है। नदी के तालाब का रूप लेने से इसके ठहरे हुए पानी में मच्छरों के पनपने से भयानक रोगों के फैलने का अंदेशा बना हुआ है। बावजूद इस समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन-प्रशासन के पास कोई योजना नहीं है।
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