रुद्रपुर : जिस सरकार ने आदेश दिए हैं कि सभी स्कूलों में एक ही प्रकाशन एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाएंगी, उसी सरकार भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी अपने विद्यालय में अपनी ही सरकार के आदेश का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसा एक मामला तब सामने आया जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष सत्यप्रकाश चौहान के स्कूल में छापेमारी की। इस स्कूल में एनसीईआरटी की किताबों के साथ बच्चों को प्राइवेट पुस्तकें पढ़ाई जा रही थी। शिक्षाधिकारियों की टीम ने स्कूल प्रबंधन को अल्टीमेटम देते हुए कहाकि दो दिन के भीतर बच्चों से किताबें वापस लेकर उनके पैसे वापस दिलाए जाएं। बताया जाता है कि रम्पुरा इलाके में भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष सत्य प्रकाश चौहान का न्यू सन साइन जूनियर हाईस्कूल है।
इस स्कूल में सुबह प्रभारी मुख्य शिक्षाधिकारी तुलसी राम वर्मा, जिला शिक्षाधिकारी बेसिक रवि मेहता, जिला समन्वय अधिकारी फय्याज हुसैन ने स्कूल में छापेमारी की। टीम स्कूल प्रबंधन से मिलने के बजाय सीधे क्लास 6, 7 व 8 में दाखिल हो गई और अपनी पड़ताल शुरू कर दी। यहां टीम को एनसीईआरटी की किताबें तो मिली, लेकिन साथ ही प्राइवेट किताबें भी मिली। टीम ने किताबें के रेट देखे जो ज्यादा तो नहीं थे, लेकिन थे नियमों के खिलाफ। इस पर टीम ने सत्य प्रकाश चौहान को दो दिन की मोहलत देते हुुए कहा कि वह दो दिन के भीतर प्राइवेट प्रकाशन की किताबें बच्चों से वापस लेकर उसका भुगतान बच्चों को वापस दें।
इस पर सत्य प्रकाश चौहान ने कहाकि बुको डिपो मालिक से बात कर किताबें वापस कराएंगे और अगर वह किताबें वापस नहीं लेता तो वह खुद किताबें लेकर बच्चों के अभिभावकों को किताबों का पैसा वापस करेंगे। इन सबके बीच टीम ने क्लास में पढ़ रहे बच्चों से पूछताछ की और वापस चले गए। टीम द्वारा छापे की सूचना पाकर कई अभिभावक भी स्कूल जा पहुंचे। यहां अभिभावकों ने बताया कि स्कूल एनसीईआरटी की किताबें तो पढ़ा रहा है, लेकिन इसके साथ ही वह प्राइवेट प्रकाशन की पुस्तकें भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाया गया। अभिभावकों का कहना है कि न्यू सन साइन में पढ़ाई जाने वाली प्राइवेट प्रकाशन की पुस्तकें गल्लामंडी में स्थित कृष्णा बुक डिपो के अलावा और कहीं नहीं मिलतीं।
वहीं पूर्व नगर अध्यक्ष सत्य प्रकाश चौहान के स्कूल में छापा मारने की टीम ने उनके छोटे भाई भूपेंद्र चौहान के स्कूल में छापा मारा, लेकिन छापे की भनक भूपेंद्र को पहले ही लग चुकी थी और उन्होंने आनन-फानन में प्राइवेट प्रकाशन की पुस्तकों को ठिकाने लगा दिया। हालांकि इसका भांडा उन लोगों ने फोड़ दिया, जिनके बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। अभिभावकों का कहना था कि स्कूल प्रबंधन को टीम के आने की सूचना पहले ही दे दी गई थी। यही वजह है कि स्कूल प्रबंधन ने टीम के पहुंचने से पहले ही बच्चों से किताबें लेकर उन्हें छिपा दिया था। इस पर शिक्षाधिकारियों का कहना था कि वह इस बात की लिखित शिकायत दें।
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