उत्तरकाशी : गंगोत्री धाम और गंगा के शीतकालीन पड़ाव मुखवा में गंगा सप्तमी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना के बाद मां गंगा की प्राचीन मूर्ति को श्रृंगार करवाया गया। कपाट बंद होने तक देश-विदेश के श्रद्धालुओं को गंगोत्री मंदिर में मां गंगा के श्रृंगार (उत्सव मूर्ति) दर्शन कर सकते हैं। अक्षय तृतीय पर गंगोत्री धाम के कपाट उद्घाटन के बाद हर साल चार दिन पश्चात गंगा सप्तमी मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन गंगा का जन्म हुआ है।
रविवार को गंगा सप्तमी पर गंगोत्री धाम और मुखवा स्थित मार्कण्डेय मंदिर में सुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। गंगोत्री में मां गंगा की मूर्ति को महाभिषेक करवाने के बाद श्रृंगार करवाया गया। इसके बाद मंदिर में गंगा लहरी और गंगा सहस्त्रनाम पाठ हुआ। श्रृंगार के बाद भक्तों ने मां गंगा के श्रृंगार दर्शन किए। गंगोत्री मंदिर के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि गंगा सप्तमी गंगा मां का जन्मोत्सव दिन है। रविवार सुबह 8:43 बजे गंगा जी की भोग मूर्ति को आभूषण पहनाए गए। आज के बाद कपाट बंद होने तक श्रद्धालु गंगोत्री में उत्सव मूर्ति के दर्शन करेंगे।
इधर गंगा के मायके मुखवा गांव से समेश्वर देवता की डोली के साथ मार्कण्डेय तक कलश यात्रा निकाली गई। यह विशेष पूजा-अर्चना के साथ धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस मौके पर गंगोत्री व्यापार मंडल अध्यक्ष सत्तेंद्र सेमवाल, पंडित अशोक सेमवाल, राजेश सेमवाल, रजनीकांत सेमवाल आदि मौजूद थे।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ।