उत्तरायणी पर राजधानी रंगी उत्तराखंडी रंग में - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

उत्तरायणी पर राजधानी रंगी उत्तराखंडी रंग में

NULL

नई दिल्ली : 14 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में उत्तराखंड के लोकपर्व उत्तरायणी की धूम रही। दिल्ली सरकार ने इस पर्व को पिछले दो वर्ष से उत्तराखंड के राज्य पर्व के रूप में मान्यता देते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सहयोग देना शुरू किया है। उल्लेखनीय है कि मकर संक्रांति पर उत्तरायणी पर्व 8-10 वर्ष पूर्व पर्वतीय लोक विकास समिति द्वारा पश्चिमी व दक्षिणी दिल्ली में पर्यावरण पर्व के रूप में मनाया जाता रहा है। वर्ष 2016 में पहली बार दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने चार जगहों-सूरघाट, वजीराबाद, उत्तरायणी मैदान कैलाशपुरी पालम, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज आैर बुराड़ी में उत्तरायणी के आयोजन में सहयाेग दिया था। विगत वर्ष 25 जगहों पर दिल्ली में उत्तरायणी कार्यक्रम सरकार की सहायता से हुए थे।

इस वर्ष विशेष बात यह रही कि दिल्ली सरकार की तीर्थयात्रा विकास समिति और हिन्दी अकादमी के सहयोग से 36 स्थानों पर उत्तरायणी कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई दर्जन स्थानों पर विभिन्न प्रवासी संस्थाओं और स्थानीय आर.डब्ल्यू.ए. की सहायता से आयोजित उत्तरायणी समारोहों की संख्या समेत कुल मिलाकर 80 तक उत्तरायणी कार्यक्रम हुए। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में पर्वतीय मूल के लोग बहुत संख्या में रहते हैं इसलिए छठ की तर्ज पर उनके सांस्कृतिक कार्यक्रम को हमारी सरकार ने सहयोग दिया है, जिसका सही संदेश जाएगा।

हिन्दी अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट का कहना है कि पहाड़ी भाषाओं और लोक संस्कृति के प्रचार-प्रसार के ​लिए दिल्ली सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किया है, जिसकी सराहना होनी चा​िहए। उत्तरायणी आयोजन को दिल्ली में शुरू करवाने वाली समिति से जुड़े शिक्षाविद विष्णु लाल टमटा और नलिन भट्ट कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने वास्तव में पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की संस्कृति को मान्यता और सम्मान प्रदान किया है, लेकिन अब इसे राजनीतिक रंग न देकर शुद्ध सांस्कृतिक व धार्मिक पर्व के रूप में बढ़ाना चाहिए। उत्तरायणी आयजन से जुड़े राज्य आंदोलनकारी नंदन सिंह रावत कहते हैं कि राज्य सरकार को इस पर्व पर ऐच्छिक अवकाश की घोषणा करनी चाहिए। कवि वीर सिंह राणा व नीरज बवाड़ी कहते हैं सरकार का अभिनंदनीय निर्णय है।

हमारी मुख्य खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें।

– सूूर्य प्रकाश सेमवाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

15 + 1 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।